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नाबालिगों ने कंप्यूटर के लिए किया अपहरण, पहले खिलाये रसगुल्ले व पिलाये कोल्ड ड्रिंक फिर इसके बाद कर दिया…

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में अगस्त में एक चौंकाने वाली घटना देखी गई, जब तीन नाबालिगों ने कंप्यूटर खरीदने के लिए फिरौती को एक नाबालिग का अपहरण किया और बाद में उसकी हत्या कर दी। आरोपी नाबालिग (उम्र लगभग 16 वर्ष) और 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं। उन्होंने 8वीं कक्षा के 14 वर्षीय छात्र का अपहरण.

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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में अगस्त में एक चौंकाने वाली घटना देखी गई, जब तीन नाबालिगों ने कंप्यूटर खरीदने के लिए फिरौती को एक नाबालिग का अपहरण किया और बाद में उसकी हत्या कर दी। आरोपी नाबालिग (उम्र लगभग 16 वर्ष) और 10वीं कक्षा में पढ़ते हैं। उन्होंने 8वीं कक्षा के 14 वर्षीय छात्र का अपहरण कर लिया। सभी एक ही स्कूल में पढ़ते थे। आरोपियों ने पहले उसका गला घोंट दिया और फिर शव को एक तालाब में फेंक दिया। इस मामले में और भी भयावह बात यह थी कि गला घोंटने से पहले मृतक को रसगुल्ले खिलाए गए और कोल्ड ड्रिंक पिलाई गई थी। घटना पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के कृष्णानगर के घुरनी इलाके की है।

गिरफ्तार होने के बाद आरोपियों में किसी प्रकार पश्चाताप भी नहीं था। उन्होंने शांति के साथ अपना अपराध भी कबूल कर लिया। उनके कबूलनामे के अनुसार, उन्होंने पीड़ित नाबालिग छात्र का अपहरण कर लिया था और फिर उसकी मां को तीन लाख रुपये की फिरौती के लिए फोन किया था, जिसे वे एक महंगा कंप्यूटर खरीदने पर खर्च करना चाहते थे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि पीड़ित की मां ने पुलिस को सूचित किया है, तो उन्होंने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और फिर शव को तालाब में फेंक दिया। हत्या करने से पहले आरोपी नाबालिगों ने पीड़ित को उसके पसंदीदा रसगुल्ले खिलाए और कोल्ड ड्रिंक भी पिलाई।

एक जांच पुलिस अधिकारी ने कहा,‘‘जब हमने उन्हें सुना तो हम चौंक गए। उन्हें अपने किये पर कोई पछतावा नहीं था। उन्होंने अपने द्वारा किए गए अपराध को कबूल कर लिया। कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि इस बात पर बहस होनी चाहिए कि आरोपियों की उम्र 16 साल हो गई है या उससे अधिक है।

गुप्ता ने कहा,‘‘बच्चों और उनके द्वारा किए गए अपराधों के सभी मामलों पर लागू होने वाले नवीनतम अधिनियम के अनुसार, एक किशोर, जिसकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच है, जिसने जघन्य अपराध किया है, उस पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है, जब किशोर न्याय बोर्ड प्रमाणित करता है कि आरोपियों में अपराध को अंजाम देने की मानसिक और शारीरिक क्षमता है और उस अपराध के परिणामों को समझते हुए अपराध भी करता है।’’

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