India-Canada संबंधों पर बोले MP Vikram Sahney, दो गलत मिलकर कभी भी एक सही नहीं बना सकते

नई दिल्ली : पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कनाडा के साथ भारतीय राजनीतिक विवाद पर कहा कि उनका हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि बातचीत ही हर कूटनीतिक समस्या का एकमात्र समाधान है। साहनी ने गहरी चिंता जताते हुए कहा की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में जो.

नई दिल्ली : पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कनाडा के साथ भारतीय राजनीतिक विवाद पर कहा कि उनका हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि बातचीत ही हर कूटनीतिक समस्या का एकमात्र समाधान है। साहनी ने गहरी चिंता जताते हुए कहा की कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में जो भारत पर आरोप लगाए है वो अतिशयोक्ति से भरे हुए है, उन्हे सार्वजनिक बयान देने और बिना किसी ठोस आधार के एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को निर्वासित करने के बजाय, अपनी संप्रभु धरती पर हुई किसी भी कार्रवाई में भारत के किसी भी हस्तक्षेप के बारे में अपनी चिंताओं या संदेह पर राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारत के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए थी।

विक्रम साहनी ने भारत सरकार से यह भी अनुरोध किया कि शत्रुता हमें कहीं नहीं ले जाती। वीजा जारी करना बंद करना एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। कनाडा में लाखों पंजाबी रहते हैं, एक गलत कदम और उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। यदि गौर किया जाए तो आम तौर पर बड़े पैमाने पर सभी कनाडाई सिख भारत समर्थक हैं और मुट्ठी भर कट्टरपंथियों के कृत्य के लिए उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता।

साहनी जो विश्व पंजाबी संगठन के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि वह इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कई प्रगतिशील कनाडाई सांसदों के संपर्क में हैं। वहीं विश्व पंजाबी संगठन के टोरंटो, मॉन्ट्रियल और ओटावा चैप्टर भी इस कठिन समय में एकता और भाईचारे के अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

साहनी ने कहा कि कुछ कट्टरपंथी हर धर्म में हैं और हमें उन कुछ मुट्ठी भर लोगों के कारण किसी समुदाय के बारे में जल्दबाजी में सामान्यीकरण नहीं करना चाहिए। सिखों को भारत के प्रति अपनी देशभक्ति और प्रतिबद्धता का कोई सबूत नहीं देना होगा। इतिहास गवाह है की सिख समुदाय द्वारा स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे बड़ा बलिदान और अद्वितीय योगदान दिया गया है। अंग्रेजों द्वारा फांसी की सजा पाने वाले 123 भारतीयों में से 93 सिख थे, जबकि आजीवन कारावास पाने वाले 2626 स्वतंत्रता सेनानियों में से 2417 सिख थे।

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