खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने बनाया गया राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन तिलहन : केंद्रीय कृषि मंत्री Shivraj Singh Chauhan

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ -तिलहन) को मंजूरी दी है, जो घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) हासिल करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से चर्चा.

भोपाल। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन (एनएमईओ -तिलहन) को मंजूरी दी है, जो घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) हासिल करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से चर्चा के दौरान बताया कि कल इस दिशा में बड़ा फैसला हुआ है, भारत अपनी कुल खाद्य तेल की आवश्यकता, जो 2022-23 में 29.2 मिलियन टन थी, लेकिन हमारे यहां ऑइल सीड से सिर्फ 12.7 बिलियन ही खाद्य तेल का उत्पादन हो पाता है।

बाकी मांग पूरा करने के लिए भारत को विदेशों पर या आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। इसी दिशा में कल एक बड़ा फैसला किया गया है कि आयात पर निर्भरता खत्म करके हम खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर कैसे बनें, इसलिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन तिलहन बनाया गया है। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् किसानों के लिए उन्नत बीज बनाएगा। लगभग 10 हजार 103 करोड़ 38 लाख रुपए की लागत से, देश में अभी जो ऑइल सीड्स हैं, उनका उत्पादन कम है, इसलिए ये संस्थान उन्नत बीज किसानों को उपलब्ध कराएगा। इसके लिए 600 क्लस्टर पूरे देश में बनाए जाएंगे।

चौहान ने बताया कि 21 राज्यों के 347 जिले, जहाँ भी ऑइल सीड्स का उत्पादन होता है, उन राज्यों को विशेष रूप से लिया गया है। किसानों को इन कलस्टर में फ्री में बीज, प्रशिक्षण, नई टेक्नोलॉजी की सुविधाएं इस मिशन के अंतर्गत दी जाएगी। जिससे ज्यादा उत्पादन हो और किसान जो उत्पादित करेंगे, उसकी 100 फीसदी खरीदी की जाएगी। कृषि मंत्री ने बताया कि हर साल 10 लाख हेक्टेयर पूरे देश में खेती की जाएगी, 7 साल में 70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र इस योजना के अंतर्गत दिया जाएगा।

उन्नत बीजों की कमी पूरा करने के लिए 65 नए बीज केंद्र बनाए जाएंगे। बीजों को सुरक्षित रखने के लिए 50 बीज भंडारण इकाइयां भी बनाई जाएंगी। उन राज्यों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जहाँ केवल खरीफ की एक फसल ली जाती है। इसके लिए‘इंटरक्रॉ¨पग’का उपयोग होगा। अलग-अलग फसलों के बीच में ये बीज, फसलें लगाई जा सकती हैं और किसानों से पूरी खरीद का भी कल फैसला हुआ है।

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