संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले : विरोधी भी हमारे हैं

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ सम्पूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है, इसमें संघ का पराया कोई नहीं है। जो आज हमारा विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं, मगर उनके विरोध से हमारी क्षति न हो, इतनी चिंता हम ज़रूर करेंगे।सर संघचालक अवध प्रांत.

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ सम्पूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है, इसमें संघ का पराया कोई नहीं है। जो आज हमारा विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं, मगर उनके विरोध से हमारी क्षति न हो, इतनी चिंता हम ज़रूर करेंगे।सर संघचालक अवध प्रांत प्रवास के अंतिम दिन सोमवार को यहां के निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित कर थे। उन्होंने कहा, ’संघ सम्पूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है, इसमें संघ का पराया कोई नहीं। जो आज हमारा विरोध करते हैं, वे भी हमारे हैं। उनके विरोध से हमारी क्षति न हो, इतनी चिंता हम ज़रूर करेंगे, लेकिन हम लोग तो सर्व लोकयुक्त भारत वाले लोग हैं, मुक्त वाले नहीं हैं।’

उन्होंने कहा कि संघ के नाते सबको जोड़ने का हमारा प्रयास है और सबको बुलाने का भी हमारा प्रयास रहता है। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा समाज में अनेक अच्छे काम समाज परिवर्तन हेतु किए जा रहे हैं, आप सब प्रबुद्ध जन उन कार्यों में सहयोगी हो सकते हैं। सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र कार्यों में अपनी-अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन करते हुए राष्ट्र को अपने स्वत्व पर खड़ा करने के लिए और परम वैभव सम्पन्न बनाने के लिए इस राष्ट्र को समझकर और सारे देश को एक करने की दिशा में जो भी छोटा-बड़ा काम आप अपनी पद्धति से करना चाहते हैं, वह कीजिए। भागवत ने कहा कि इतिहास में हम यह लिखा देना नहीं चाहते कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण देश का उद्धार हुआ, हम यह लिखा देना चाहते हैं कि इस देश में एक ऐसी पीढ़ी निर्माण हुई, उन्होंने उद्यम किया और अपने देश को पूरी दुनिया का गुरु बनाया।

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