नेशनल डेस्क: दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण बढ़ने से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लग गई है। वहीं अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission on Air Quality Management (CAQM)) द्वारा कदम उठाए जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बरकरार रहने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि हमें कागज मत दिखाइए कि आफने क्या किया, हमें जमीनी हकीकत बताइए क्योंकि यह तो कुछ और दिख रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान सरकारों से प्रदूषण पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ दशक पहले दिल्ली के लिए यह दिन बहुत अच्छे होते थे लेकिन पिछले कुछ समय से हालात खराब हो रहे हैं राजधानी की हवा अब बिगड़ती जा रही है और वायु गुणवत्ता भी खराब होने गई है जिस कारण घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पांच राज्यों से एक सप्ताह के भीतर हलफनामे दाखिल करने को कहा।
पीठ में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पी के मिश्रा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य यह बताते हुए एक हलफनामा दाखिल करें कि उन्होंने इस स्थिति को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। हम दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’’ कोर्ट में मामले पर अगली सुनवाई के 7 नवंबर को होगी। कोर्ट ने CAQM को समस्या शुरू होने की प्रासंगिक अवधि और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) जैसे मापदंडों और पराली जलाने की घटनाओं की संख्या सहित वर्तमान जमीनी स्थिति का परिणाम एक सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक पराली जलाना है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिल्ली तथा उसके आसपास वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से एक रिपोर्ट मांगी थी। CAQM ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर 6 अक्तूबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरकारी प्राधिकारियों से होटलों तथा रेस्त्रां में कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैला रहे उद्योगों तथा ताप विद्युत संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था।