SCO देश एक-दूसरे की संप्रभुता का करें सम्मान, अंतरराष्ट्रीय कानून का सख्ती से करें पालन : S. Jaishankar

बिश्केकः विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने चीन पर कटाक्ष करते हुए वीरवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए, एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा.

बिश्केकः विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने चीन पर कटाक्ष करते हुए वीरवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए, एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करते हुए क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। जयशंकर ने यह टिप्पणी उस वक्त की, जब वह किर्गिस्तान के बिश्केक में एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद के 22वें सत्र को संबोधित कर रहे थे।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘SCO को अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करते हुए एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करके, आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करके क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मध्य एशियाई राष्ट्रों के हितों को केंद्र में रखा जाना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।बीजिंग, पाकिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। भारत ने पाकिस्तान में इस परियोजना का विरोध किया है, क्योंकि यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजर रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत SCO क्षेत्र के लोगों के साथ गहरे सभ्यतागत संबंध साझा करता है। अभी एससीओ देशों में भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘क्षेत्र में वस्तुओं के आयात-निर्यात, विचारों के निरंतर प्रवाह और लोगों की सतत आवाजाही ने हमारे रीति-रिवाजों, परंपराओं, भाषा और व्यंजनों पर अमिट छाप छोड़ी है। इन ऐतिहासिक रिश्तों को अब अधिक आर्थिक सहयोग के लिए एक खाका तैयार करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र के भीतर व्यापार में सुधार के लिए हमें मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की जरूरत है। ऐसी पहलों में सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान (अवश्य) किया जाना चाहिए।’’ विदेश मंत्री ने चीन पर एक बार फिर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ग्लोबल साउथ को अपारदर्शी पहलों से उत्पन्न होने वाले अव्यवहार्य ऋण के बोझ तले नहीं दबाया जाना चाहिए। ग्लोबल साउथ को अक्सर उन अल्प विकसित या अविकसित अथवा विकासशील देशों के रूप में संर्दिभत किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।
चीन पर श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में अव्यवहार्य बुनियादी परियोजनाएं शुरू करके उन देशों को ऋण के बोझ तले दबाने का आरोप लगता रहा है। भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) समृद्धि प्रवर्तक बन सकते हैं।’’ आईएमईसी को कई लोग चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ (बीआरआई) पहल के विकल्प के रूप में देखते हैं। आईएमईसी की घोषणा सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं द्वारा की गई थी।
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