नेशनल डेस्क: पांच राज्यों- राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव के बाद अब संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो रहा है। संसद सत्र शुरू होने से पहले राज्यसभा सदस्यों को कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। सदस्यों को याद दिलाया गया है कि सदन की गरिमा क्या है और सदस्यों को कैसा व्यहार करना चाहिए। राज्यसभा सांसदों को सदन में जय हिंद, वंदे मातरम, थैंक्यू, थैंक्स जैसे नारों से परहेज करना होगा।
सदस्यों से सदन की गरिमा को बनाए रखने, महत्वपूर्ण विषयों को उठाने से संबंधित नोटिस को राज्यसभा के अध्यक्ष की मंजूरी से पहले प्रचारित नहीं करने आदि का आग्रह किया गया है। संसद का शीतकालीन सत्र चार दिसंबर से शुरू हो रहा है और यह 22 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 15 बैठकें होंगी जिनमें कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा की जा सकती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के ठीक बाद शुरू होने वाले संसद का यह सत्र काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राज्यसभा सभापति ने सदस्यों को कुछ हिदायतें भी दी हैं, जो व्यवस्था दी गई हैं, उसकी सदन के अंदर या बाहर आलोचना करने से बचना होगा। सांसदों को सदन की मर्यादा का भी ख्याल रखने के लिए कहा गया है। सदन की कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करने और तख्तियां लहराने से भी बचने की सलाह दी गई है। सांसदों से कहा गया है कि जब तक उनकी तरफ से दिए गए नोटिस को आसन स्वीकार नहीं कर ले, तब तक इसका प्रचार करने से बचना चाहिए। मीडिया या किसी मंच पर या किसी दूसरे साथी सांसद से भी नोटिस से संबंधित जानकारी साझा नहीं की जाए।
संसद सदस्यों को विदेश में निजी यात्राओं के दौरान विदेशी आतिथ्य स्वीकार करते समय सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। केंद्र सरकार की पहले से अनुमति लेनी चाहिए। आचार संहिता का एक मानदंड सांसदों को ऐसे गिफ्ट नहीं लेने के आदेश देता है, जो ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ आधिकारिक कर्त्तव्यों के पालन को रोकते हों। राज्यसभा का यह दिशा-निर्देश कैश फॉर क्वेरी टीएमसी सदस्य मोहुआ मोइत्रा के विवाद पर आया है।
मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए दुबई स्थित कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से ‘रिश्वत’ लेने का आरोप लगाया गया है। एक अन्य अधिसूचना में कहा गया है कि सांसदों से अनुरोध है कि वे अपनी विदेश यात्रा की जानकारी और उद्देश्य बताते हुए कम से कम 3 सप्ताह पहले महासचिव को भेजें ताकि विदेश मंत्रालय और संबंधित भारतीय मिशन/पोस्ट को इसके बारे में सूचित किया जा सके।