रेलवे में कवच 4.0 का सफल ट्रायल: जानिए स्वदेशी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम की विशेषताएं

रेल मंत्री ने 23 सितंबर को सवाई माधोपुर से विशेष ट्रेन के लोकोमोटिव में सफर करते हुए 35 किलोमीटर की दूरी पर इस तकनीक का निरीक्षण किया।

रेल हादसों को रोकने के लिए लगातार प्रयासों के बीच, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में राजस्थान के सवाई माधोपुर से सुमेरगंज मंडी तक कवच 4.0 तकनीक का ट्रायल किया। कवच 4.0 एक स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे ट्रेन संचालन को सुरक्षित और दुर्घटना-मुक्त बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। रेल मंत्री ने 23 सितंबर को सवाई माधोपुर से विशेष ट्रेन के लोकोमोटिव में सफर करते हुए 35 किलोमीटर की दूरी पर इस तकनीक का निरीक्षण किया।

क्या है कवच 4.0?

कवच 4.0 रेलवे का अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली है, जो मुख्य रूप से ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बनाया गया है। यह तकनीक ट्रेनों के बीच टकराव और रेड सिग्नल को नजरअंदाज करने जैसी घटनाओं से बचाने में मदद करेगी। इस सिस्टम के तहत, यदि ट्रेन तय गति सीमा से अधिक गति में चल रही हो, तो पहले अलार्म बजेगा और जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी ब्रेक भी लग जाएगा।

रेलवे ने इस तकनीक को सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक पर लागू किया है। यह भारत का पहला ट्रैक है, जहां कवच 4.0 सिस्टम स्थापित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए रेलवे ने 130 टावर स्थापित किए हैं और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई है, जिससे सिग्नलिंग और संचार का काम आसानी से हो सके।

ट्रायल के नतीजे

रेल मंत्री ने अलग-अलग गति पर कवच सिस्टम का ट्रायल देखा, जहां ट्रेन की रफ्तार जैसे ही 20 किमी प्रति घंटे पर पहुंची, सिस्टम ने उसे नियंत्रित कर लिया। ट्रायल के दौरान, जब स्टेशन मास्टर ने ट्रेन को रोकने का संदेश भेजा, तो ट्रेन तुरंत रुक गई। इससे यह सिद्ध होता है कि कवच सिस्टम आपात स्थितियों में ट्रेन संचालन को पूरी तरह से नियंत्रित करने में सक्षम है।

कवच 4.0 प्रणाली में इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है, जो सिग्नल को रेडियो तरंगों के माध्यम से सीधे ट्रेन के इंजन में प्रदर्शित करती है। इससे ट्रेन चालक को सिग्नल पढ़ने में आसानी होगी, और वह लाइन पर लगे सिग्नलों पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा। यदि किसी प्रकार की गलती होती है, तो यह सिस्टम तुरंत अलर्ट कर आपातकालीन ब्रेक लगा देगा।

कवच की विशेषताएं

कवच 4.0 हर भौगोलिक स्थिति, जैसे जंगल, रेगिस्तान, और पहाड़ी इलाकों में भी प्रभावी तरीके से काम करता है। यह तकनीक ट्रेन की स्पीड 2 किमी प्रतिघंटा से अधिक होते ही ओवरस्पीड अलार्म बजाएगी, और यदि स्पीड 5 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा हो जाती है, तो ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। स्पीड 9 किमी प्रतिघंटा से अधिक होने पर इमरजेंसी ब्रेक लगाए जाएंगे, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना न्यूनतम हो जाएगी।

रेलवे कवच 4.0 सिस्टम को भारत के विभिन्न प्रमुख रूटों पर तेजी से लागू करने की योजना बना रहा है। इस प्रणाली से रेलवे सुरक्षा को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है, जिससे भविष्य में होने वाली ट्रेन दुर्घटनाओं में कमी आएगी।

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