‘ये कैसी बेतुकी याचिका है, इतनी छोटी सोच न रखें’…पाकिस्तान को लेकर दायर अर्जी पर SC ने दिया देशभक्ति का पाठ

नेशनल डेस्क: पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में बैन करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह कैसी बेतुकी अर्जी है, इसे अभी तत्काल खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई थी कि पाकिस्तानी कलाकारों को बैन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया।.

नेशनल डेस्क: पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में बैन करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह कैसी बेतुकी अर्जी है, इसे अभी तत्काल खारिज किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई थी कि पाकिस्तानी कलाकारों को बैन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ये बेतुकी और आधारहीन याचिका है।

 

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इतनी छोटी सोच न रखें। जस्टिस संजीव खन्ना एवं जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि वे बंबई हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं है, जिसने फैज अनवर कुरैशी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। कुरैशी का दावा है कि वह सिने कर्मी और एक कलाकार है।

 

पीठ ने कुरैशी से कहा, ‘‘आपको इस अपील के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए और सात ही इतनी छोटी सोच नहीं रखनी चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा ‘किसी को यह समझना चाहिए कि देशभक्त होने के लिए, किसी को विदेश में रहने वाले लोगों, विशेषकर पड़ोसी देश के लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण होने की आवश्यकता नहीं है। एक सच्चा देशभक्त वह व्यक्ति है, जो निस्वार्थ है, जो अपने देश के लिए समर्पित है।

क्या था याचिका में?

याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अदालत भारतीय नागरिकों, कंपनियों, फर्म और एसोसिएशन पर पाकिस्तान के सिने कर्मियों, गायकों, गीतकारों और तकनीशियनों सहित किसी भी पाक कलाकार को रोजगार देने या किसी भी काम अथवा प्रस्तुति के लिए बुलाने, कोई सेवा लेने या किसी भी संगठन में प्रवेश करने आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए।

 

कुरैशी ने पहले यह याचिका बंबई हाईकोर्ट में लगाई थी, तब कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अदालत से जो अनुमति चाहता है वह सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रतिकूल कदम है और इसमें कोई दम नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि कला, संगीत, खेल, संस्कृति, नृत्य और ऐसी अन्य गतिविधियां राष्ट्रवाद, संस्कृति और राष्ट्र से ऊपर हैं और ये वास्तव में राष्ट्र में और देशों के बीच शांति, सौहार्द, एकता और सद्भाव लाने वाली होती हैं।

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