कानून के समक्ष समानता के बिना लोकतंत्र नहीं: धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि कानून के समक्ष समानता के बिना कोई भी लोकतंत्र जीवित और विकसित नहीं हो सकता।

नयी दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि कानून के समक्ष समानता के बिना कोई भी लोकतंत्र जीवित और विकसित नहीं हो सकता। धनखड़ ने मिजोरम विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि अब कानून के समक्ष समानता जमीनी हकीकत है और जो लोग खुद को कानून से ऊपर मानते थे वे मजबूती से इसकी चपेट में हैं। उन्होंने कहा, “ कोई भी लोकतंत्र तब तक जीवित नहीं रह सकता, कोई भी लोकतंत्र तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक कानून के समक्ष समानता न हो।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं और सरकारी नौकरी की अंधाधुंध तलाश से बाहर आने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से अलग ढंग से सोचने और असफलता से नहीं डरने का आह्वान करते हुए कहा कि असफलता सफलता की ओर एक कदम है। उन्होंने कहा कि युवा अपनी आकांक्षा कर सकते हैं और सपनों को साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब सत्ता के गलियारे सत्ता के दलालों से मुक्त हो गए हैं और भर्तियां पारदर्शी तरीके से की जाती हैं।

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