नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को जलियांवाला बाग की शहादत याद दिलाई है। उन्होंने मासूम लोगों के बलिदान को स्वतंत्रता संग्राम का एक अहम मोड़ भी बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बैसाखी के दिन दो पोस्ट की। पहले में बैसाखी की शुभकामनाएं दीं तो दूसरे में भारतीय इतिहास के काले अध्याय को याद दिलाया।
We pay homage to the martyrs of Jallianwala Bagh. The coming generations will always remember their indomitable spirit. It was indeed a dark chapter in our nation’s history. Their sacrifice became a major turning point in India’s freedom struggle.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2025
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- हम जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। आने वाली पीढ़ियां उनके अदम्य साहस को हमेशा याद रखेंगी। यह वास्तव में हमारे देश के इतिहास का एक काला अध्याय था। उनका बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।
पीएम मोदी से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी एक्स पोस्ट में उस नरसंहार को भारत के स्वतंत्रता संग्राम का काला अध्याय बताया। उन्होंने इसे अंग्रेजी हुकूमत की अमानवीयता की पराकाष्ठा बताया।
जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हम सिर झुकाकर नमन करते हैं।
कृतज्ञ राष्ट्र उन निःशस्त्र स्वाधीनता सेनानियों की देशभक्ति, उनके साहस, समर्पण, त्याग और निःस्वार्थ बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।
आज़ादी की लड़ाई में उनकी शहादत का अमिट योगदान अविस्मरणीय रहेगा। pic.twitter.com/NvSe4ZZGK5
— Mallikarjun Kharge (@kharge) April 13, 2025
नि:स्वार्थ बलिदान को कभी नहीं भूलेगा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जलियांवाला बाग नरसंहार को याद करते हुए लिखा- जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हम सिर झुकाकर नमन करते हैं। कृतज्ञ राष्ट्र उन नि:शस्त्र स्वाधीनता सेनानियों की देशभक्ति, उनके साहस, समर्पण, त्याग और नि:स्वार्थ बलिदान को कभी नहीं भूलेगा। आजादी की लड़ाई में उनकी शहादत का अमिट योगदान अविस्मरणीय रहेगा।
भीड़ पर गोलियां दाग दी गईं
बता दें, बैसाखी के दिन ही 1919 में अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में अंग्रेज अफसर ने क्रूरता की हद पार करते हुए निहत्थे और मासूम लोगों पर गोलियां चलाने का हुक्म दिया। चूंकि उस दिन बैसाखी थी, तो बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे मेले में शामिल होने आए थे। इस अमानवीय घटना में सैकड़ों की जान गई, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।
जलियांवाला बाग में उस दिन अंग्रेजों के दमनकारी कानून रॉलेट एक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण सभा का भी आयोजन किया गया था। अंग्रेजों ने शहर में कफ्र्यू का ऐलान किया था, इसके बावजूद हजारों की संख्या में लोग जनसभा में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे। सभा में इतनी बड़ी संख्या में भीड़ देखकर अंग्रेज अफसर बौखला गए और भीड़ को संभालने पहुंचे जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने 90 सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दे दिया और बिना किसी चेतावनी के भीड़ पर गोलियां दाग दी गईं।