चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार से भोले-भाले लोगों को अवैध रूप से विदेश भेजकर धोखाधड़ी करने वाले अवैध ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले एक अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागु और न्यायमूर्ति हरमीत सिंह ग्रेवाल की पीठ ने 17 फरवरी को अधिवक्ता कंवर पहल सिंह की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने प्रवासन जांच चौकियों की स्थापना और प्रमाणित भर्ती एजेंटों की एक उन्नत सूची जारी करने की भी मांग की थी। हाल ही में अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों को निर्वासित करने के बाद यह याचिका दायर की गई थी। याचिका में उत्प्रवास अधिनियम 1983 के तहत पंजाब में प्रवासन चौकियों की स्थापना के लिए त्वरित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि प्रवासन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जा सके और अवैध प्रवास को रोका जा सके।
याचिकाकर्ता ने कहा, हाल ही में अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय प्रवासियों के बड़े पैमाने पर निर्वासन की घटना से पंजाब के लोगों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने अनुरोध किया कि प्रमाणित भर्ती एजेंटों और विदेशों में स्थापित अधिकृत नियोक्ताओं की सूची को उन्नत किया जाए ताकि लोग प्रवासन प्रक्रिया तक आसानी से पहुंच सकें और फर्जी ट्रैवल एजेंटों का शिकार होने से बच सकें। याचिकाकर्ता ने पंजाब मानव तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत राज्य में संचालित सभी फर्जी ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की ताकि डंकी रूट्स के माध्यम से मानव तस्करी को रोका जा सके। यह प्रवासियों द्वारा अमेरिका में प्रवेश करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अवैध और जोखिम भरा मार्ग है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता धीरज जैन ने कहा कि अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों को एक महीने के भीतर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करे। उन्होंने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार को अभ्यावेदन पर विचार कर निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं।
जैन ने बताया कि चंडीगढ़ स्थित ‘प्रोटेक्टर ऑफ इमिग्रेंट्स’ ने पिछले एक साल में पंजाब सरकार को ऐसे अनियमित एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कुल 127 शिकायतें भेजी हैं। इनमें से 57 शिकायतें प्रताड़ित लोगों से प्राप्त हुई थीं। अमेरिका ने पांच फरवरी को अवैध भारतीय प्रवासियों का पहला जत्था वापस भेजा था। इसके बाद पंजाब सरकार ने अवैध प्रवास के मामले की जांच के लिए पंजाब पुलिस की एक विशेष जांच टीम गठित की थी।