गुलमोहर मामला: मोहाली कोर्ट ने Davinder Pal Singh की जमानत अर्जी की ख़ारिज

मोहाली: पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने जनवरी महीने की शुरुआत में पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा और आई.ए.एस. अधिकारी नीलिमा समेत पंजाब राज्य औद्योगिक निर्यात निगम (पी.एस.आई.ई. सी.) के 10 सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। यह मामला एक इंडस्ट्रियल प्लॉट को एक डिवैल्पर कंपनी को तबदील करने और प्लॉट काटकर टाऊनशिप स्थापित.

मोहाली: पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने जनवरी महीने की शुरुआत में पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा और आई.ए.एस. अधिकारी नीलिमा समेत पंजाब राज्य औद्योगिक निर्यात निगम (पी.एस.आई.ई. सी.) के 10 सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। यह मामला एक इंडस्ट्रियल प्लॉट को एक डिवैल्पर कंपनी को तबदील करने और प्लॉट काटकर टाऊनशिप स्थापित करने की मंजूरी देने से जुड़ा हुआ है। इस केस में रियलटर फर्म गुलमोहर टाऊनशिप प्रा.लि. के 3 मालिकों को भी इस केस में नामजद किया गया है।

इस केस में विजिलेंस ने पी.एस.आई.डी.सी. के 7 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एस्टेट अफसर अंकुर चौधरी, जी.एम. परसोनल दविंद्र पाल सिंह ( जिसकी जमानत याचिका आज खारिज हुई), चीफ जनरल मैनेजर (योजनाबंदी) जे.एस. भाटिया, ए.टी.पी. (योजनाबंदी) आशिमा अग्रवाल, कार्यकारी इंजीनियर परमिंद्र सिंह, डी.ए. रजत कुमार और एस.डी.ई. संदीप सिंह शामिल हैं। आरोप है कि इन्होंने आपस में मिलीभगत करके उक्त फर्म को अनुचित लाभ पहुंचाया।

राज्य विजिलेंस ब्यूरो प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में उद्योगों को प्रफुल्लित करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने वर्ष 1987 में ‘आनंद लैंपस लिमिटेड’ कंपनी को सेल डीड द्वारा 25 एकड़ जमीन अलॉट की थी जो बाद में ‘सिगनीफाई इनोवेशन’ नामक फर्म को तबदील कर दी गई थी। यह प्लॉट फिर पी.एस.आई.ई.सी. से ऐतराजहीनता सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद सिगनीफाई इनोवेसन ने सेल डीड के द्वारा गुलमोहर टाऊनशिप को बेच दी थी। तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा ने 17 मार्च, 2021 को उक्त प्लॉट की आगे विभाजन के लिए गुलमोहर टाऊनशिप से प्राप्त पत्र उस समय की एम.डी., पी.एस.आई.डी.सी. को भेज दिया।

तत्कालीन एम.डी., पी.एस.आई.ई.सी. आई.ए.एस. अधिकारी नीलिमा ने इस रियलटर फर्म के प्रस्ताव की जांच करने के लिए एक विभागीय कमेटी का गठन कर दिया जिसमें एस.पी. सिंह कार्यकारी डायरैक्टर, अंकुर चौधरी अस्टेट अफसर, भाई सुखदीप सिंह सिद्धू, दविंद्रपाल सिंह जी.एम. परसोनल, तेजवीर सिंह डी.टी.पी., (अब मृतक), जे.एस. भाटिया चीफ जनरल मैनेजर (योजना), आशिमा अग्रवाल ए.टी.पी. (योजना), परमिंद्र सिंह कार्यकारी इंजीनियर, रजत कुमार डी.ए. और संदीप सिंह एस.डी.ई. शामिल थे।

एस.पी. सिंह के नेतृत्व वाली कमेटी ने इस संबंध में प्रस्ताव रिपोर्ट, प्रोजैक्ट रिपोर्ट, आर्टीकल ऑफ एसो. और एसो. के मैमोरैंडम का नोटिस लिए बिना उपरोक्त रियलटर फर्म को 12 प्लॉटों से 125 प्लॉटों में बांटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। उक्त कमेटी ने पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड, नगर निगम, बिजली बोर्ड, वन विभाग, राज्य फायर ब्रिगेड की सलाह लिए बिना ही गुलमोहर टाऊनशिप संबंधी प्रस्तावों की सिफारिश मंजूर कर दी।

कमेटी सदस्यों ने जाली दस्तावेज संलग्न किए
प्रवक्ता ने बताया कि फॉरैंसिक साइंस लैबोरटरी की जांच के दौरान यह पाया गया है कि उक्त कमेटी सदस्यों ने जाली दस्तावेज संलग्न किए हैं और उक्त आवेदन/ प्रस्ताव की अच्छी तरह जांच नहीं की। उन्होंने बताया कि पी.एस.आई.ई.सी. के नियमों के अनुसार साल 1987 से प्लॉटों की फीस 20 रुपए प्रति गज और 3 रुपए प्रति साल के हिसाब से वसूली जानी थी, जोकि कुल 1,21,000 वर्ग गज के लिए कुल 1,51,25,000 रुपए बनती थी। परंतु आरोपी फर्म ने पहले ही आवेदन के साथ 27,83,000 रुपए का पे आर्डर संलग्न कर दिया था जबकि पी.एस.आई.डी.सी. द्वारा ऐसी कोई भी मांग नहीं की गई थी, जिस कारण पंजाब सरकार को 1,23,42,000 रुपए का वित्तीय नुक्सान हुआ है।

सभी प्लॉट गैर-कानूनी ढंग से बेचे गए
पड़ताल के दौरान पाया गया कि यदि यह प्लॉट राज्य सरकार की हिदायतों/ नियमों अनुसार बेचा जाता तो सरकार को 600 से 700 करोड़ रुपए की आय होनी थी। गुलमोहर टाऊनशिप की तरफ से 125 प्लॉटों की बिक्री के समय किसी भी खरीदार पक्ष से कोई प्रस्ताव रिपोर्ट, प्रोजैक्ट रिपोर्ट, आर्टीकल ऑफ एसोसिएशन और मैमोरैंडम ऑफ एसोसिएशन की मांग नहीं की गई और सभी प्लॉट गैर-कानूनी ढंग से बेचे गए। ऐसा करके उपरोक्त कमेटी सदस्यों, जिनमें तत्कालीन एम.डी. नीलिमा और पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा शामिल थे, ने आपस में मिलीभगत करके अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गुलमोहर टाऊनशिप कंपनी के मालकों/ डायरैक्टरों जगदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह और राकेश कुमार शर्मा को गैर-वाजिब ढंग से फायदा पहुंचाया। इस संबंधी पंजाब पी.एस.आई.डी.सी. के उपरोक्त सभी आरोपी अधिकारियों/ कर्मचारियों, नीलिमा और पूर्व मंत्री के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो के थाना मोहाली में विभिन्न धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया है।

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