डीसी ने नायब तहसीलदार अकविंदर कौर, कानूनगो व 2 पटवारियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा

इस मामले को दोबारा से जांच करने को कहा है। पता चला है कि उक्त फर्जीवाड़े के खेल में प्रशासनिक अधिकारियों के सामने कुछ अहम सबूत हाथ लगे है। बताया जा रहा है कि अब प्रशासन नायब तहसीलदार सहित चारों की भूमिका को खंगालने में लगा है।

अमृतसर: डीसी घनश्याम थोरी ने बंडाला गांव की 22 कनाल जमीन की एफआईआर मामले में जिला देहाती एसएसपी को पत्र लिख कर नायब तहसीलदार अकविंदर कौर, कानूनगो लखिवंदर सिंह, पटवारी आज्ञापाल सिंह और पटवारी मनदीप पाल सिंह को गिरफ्तार पर रोक लगाने को कहा है और इस मामले को दोबारा से जांच करने को कहा है। पता चला है कि उक्त फर्जीवाड़े के खेल में प्रशासनिक अधिकारियों के सामने कुछ अहम सबूत हाथ लगे है। बताया जा रहा है कि अब प्रशासन नायब तहसीलदार सहित चारों की भूमिका को खंगालने में लगा है। इसके बाद जिस कर्मी पर आरोप साबित होगा उसकी गिरफ्तारी तय है। लेकिन जिस पर आरोप साबित नहीं हो सका उसका नाम एफआइआर से बाहर कर दिया जाएगा। उधर, जंडियाला गुरु थाने के प्रभारी मुख्तयार सिंह ने बताया कि डीसी घनशाम थोरी के आदेश पर फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है। वही इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी सरपंच सतिंदरजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। सतिंदर जीत सिंह मौजूदा सरपंच है और और उसने फर्जी कागजात की मदद से 22 कनाल जमीन अपने नाम करवा ली थी। जांच में सामने आया था कि साल 1998 के समय का रिकार्ड की फर्जी कापियां तैयार करवाई गई। इसके साथ ही सब रजिस्ट्रार के साइन और मोहरें भी जाली तैयार करवाई गई। रजिस्ट्री के दस्तावेजों में खरीदने और बेचने वालों की फोटो पर भी संदेह है।

पुलिस की जांच भी संदेह में! : वही पुलिस की तरफ से नायब तहसीलदार व अन्य पर एफआईआर दर्ज करना संदेह के घेरे में है,क्योकि इस तरह की धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करने से पहले विभाग की जांच होनी जरूरी है,परंतु विभाग के द्वारा इस मामले में जांच रिपोर्ट पूरी नही की और एफआईआर दर्ज हो गई। वही बताया जाता है कि एक नेता की पत्नी की दबाव के नीचे पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जिसकी तहसील परिसर में काफी चर्चा है।

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