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बारिश के कारण आढ़तियों व किसानों को भारी दिक्कतें, हजारों क्विंटल धान भीगी

सफीदों: क्षेत्र में देर रात से चल रही बारिश में सफीदों अनाज मंडी में पडी हजारों किवंटल धान भीग गई। तेज बारिश के कारण एक बार तो अनाज मंडी जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस बारिश के कारण आढतियों व किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडा। वैसे तो मंडी में कई शैड.

सफीदों: क्षेत्र में देर रात से चल रही बारिश में सफीदों अनाज मंडी में पडी हजारों किवंटल धान भीग गई। तेज बारिश के कारण एक बार तो अनाज मंडी जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस बारिश के कारण आढतियों व किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पडा। वैसे तो मंडी में कई शैड बने हुए है लेकिन काफी माल खुले में पडा हुआ है। बारिश का मौसम होते ही आढतियों के माथे पर चिंता की लकीरें छा गईं। वैसे मौसम विभाग ने बारिश का अलर्ट जारी कर दिया था। उस अलर्ट को देखते हुए कुछ आढतियों ने तिरपाल वगैरह ढक भी दिए थे। फिर भी काफी ढेरियां ढके बगैर रह गई थी।

बारिश शुरू होने के बाद ढेरियों को ढका भी गया लेकिन बारिश का पानी ढेरियों के नीचे से गुजर गया। इसके अलावा बारिश से पहले आए तुफान ने काफी ढेरियों के तिरपाल को भी उडा दिया। जिसके कारण भी आढतियों को काफी परेशानियों का सामना करना पडा। सफीदों मंडी में इस वक्त हजारों किवंटल धान अटका पडा है। उसका सबसे बडा कारण धान के भाव गिरना बताया जा रहा है। सीजन की शुरूआत जिस धान की कीमत करीब 3900 रूपए थी, अब उसके भाव गिरकर 3400 से 3500 रुपए प्रति किवंटल रह गई है। करीब-करीब 500 रूपए प्रति क्विंटल का मंदा है। इस मंदे के पीछे अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर उठा पटक बताई गई है। इस उठापटक के कारण चावल के इंटरनेशनल लेवल के खरीददार चुप बैठे है और धान के भावों के निरंतर गिरावट देखी जा रही है।

इस मामले में मार्किट कमेटी सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि मौसम के तेवरों को देखते हुए उन्होंने आढतियों को पहले ही ढेरियों को ढकने के लिए कह दिया था। मंडी में काफी ढेरियों पर तिरपाल ढके हुए है। मंडी में पानी निकासी की व्यवस्था पूरी तरह से सुनिश्चित है। अगर कहीं थोडा बहुत जलभराव हुआ है तो उसे सफाई कर्मियों ने निकाल दिया है। मंडी सचिख्व ने कहा कि मंडी में जो धान पडा हुआ है, उसके पीछे कारण धान के भावों में गिरावट आना है। इस बारिश में किसानों का कोई नुकसान नहीं है। अधिकतर किसान अपनी फसल बेच चुके हैं। मंडी में जो माल पडा हुआ है, वह व्यापारियों का है। उनको कई बार मंडी से धान उठवाने के लिए कहा जा चुका है।

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