आयकर विभाग ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ बेनामी संपत्ति मामले में दूसरी जमीन कुर्क की

लखनऊः आयकर विभाग ने माफिया-नेता मुख्तार अंसारी और उसके परिजन के खिलाफ चल रही कथित बेनामी जायदाद मामले की जांच के तहत लखनऊ में लगभग 10 करोड़ रुपये की दूसरी भूसंपत्ति कुर्क की है। विभाग की बेनामी संपत्ति जांच शाखा ने व्यापक जांच को ‘ऑपरेशन पैंथर’ नाम दिया है। जांच में पाया गया है कि.

लखनऊः आयकर विभाग ने माफिया-नेता मुख्तार अंसारी और उसके परिजन के खिलाफ चल रही कथित बेनामी जायदाद मामले की जांच के तहत लखनऊ में लगभग 10 करोड़ रुपये की दूसरी भूसंपत्ति कुर्क की है। विभाग की बेनामी संपत्ति जांच शाखा ने व्यापक जांच को ‘ऑपरेशन पैंथर’ नाम दिया है। जांच में पाया गया है कि लखनऊ के डालीबाग इलाके में 13-सी/3 पर 3,234 वर्ग फुट के प्लॉट की बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) तनवीर सहर, गाजीपुर की निवासी एक महिला है। एक आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि आयकर विभाग ने गत 29 सितंबर को बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम के नियम-5 के साथ पठित धारा 24(3) के तहत भूखंड कुर्क कर लिया। इसके अनुसार यह पाया गया कि इससे जुड़े हुए लोग बहुत प्रभावशाली हैं और संपत्ति एक प्रमुख स्थान पर स्थित है और उसका गुपचुप निपटान किया जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कुर्क की गई जमीन का स्टांप मूल्यांकन 76 लाख रुपये से थोड़ा अधिक है जबकि इसका बाजार मूल्य लगभग 10 करोड़ रुपये आंका गया है।

आयकर विभाग ने इसी साल अप्रैल में अंसारी के खिलाफ मामले में पहली संपत्ति उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सदर तहसील अंतर्गत मौजा कपूरपुर में स्थित कुर्क की। लगभग 12 करोड रुपए मूल्य की इस जमीन का बेनामीदार मुख्तार अंसारी का कथित सहयोगी गणोश दत्त मिश्र था। सूत्रों के मुताबिक आयकर अधिकारियों ने मिश्र से लंबी पूछताछ और उत्तर प्रदेश पुलिस और राजस्व विभाग से प्राप्त रिकॉर्ड और बैंकों सहित विभिन्न एजेंसियों से वित्तीय दस्तावेजों के आधार पर नवीनतम संपत्ति (लखनऊ के डालीबाग में) का पता लगाया था। यह पाया गया था कि मिश्र ने 2014 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा लिए गए 1.60 करोड़ रुपये के ऋण के लिए डालीबाग की संपत्ति को गिरवी रखा था, जिसके शेयरधारक अंसारी की पत्नी अफशां, बेटा अब्बास अंसारी और ससुर जमशेद रजा थे।

ऋण का भुगतान करने के बाद बैंक द्वारा संपत्ति मुक्त कर दी गई और इसे नवंबर 2020 में कथित बेनामीदार सहर को हस्तांतरित कर दिया गया। आयकर विभाग ने पाया कि सहर ने कभी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है और कुछ अन्य के अलावा, उसके पास डालीबाग प्लॉट खरीदने के लिए आय का पर्याप्त स्नेत नहीं है। विभाग ने निष्कर्ष निकाला कि सहर संपत्ति की डमी मालिक या बेनामीदार थी। कर अधिकारियों ने भी उसे पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वह अभी तक उनके सामने पेश नहीं हुई है।

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