ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ की इजाजत वाले वाराणसी कोर्ट के आदेश पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का कब्ज़्जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वाराणसी अदालत के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दी गई थी।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोनों समुदायों को धार्मकि पूजा करने की अनुमति देने के लिए विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा।

पीठ ने कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जिला अदालत और उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा नमाज निर्बाध रूप से पढ़ी जा रही है और हिंदू पुजारी द्वारा पूजा की पेशकश तहखाना के क्षेत्र तक ही सीमित है, इसलिए यथास्थिति बनाए रखना और दोनों समुदाय को वहां उपासना की अनुमति देना उचित है।’ पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की अनुमति के बिना यथास्थिति भंग नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति के बारे में 31 जनवरी के जिला अदालत के आदेश को बरकरार रखने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

ज्ञानवापी परिसर के धार्मकि चरित्र पर परस्पर विरोधी दावों से जुड़े सिविल कोर्ट में चल रहे एक मामले के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह फैसला दिया।

हिंदू पक्ष ने कहा है कि 1993 तक मस्जिद के तहखाने में सोमनाथ व्यास के परिवार द्वारा पूजा-पाठ किया जाता था, मगर मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली तत्ज़्कालीन सरकार ने कथित तौर पर इस पर रोक लगा दी थी।

मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का कब्ज़्जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।

- विज्ञापन -

Latest News