अमरोहा: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने भूमाफियाओं के खिलाफ कड़ा रुख दिखाते हुए शुक्रवार को कहा कि इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएं। यहां कलेक्ट्रेट निरीक्षण दौरान मंडलायुक्त ने कहा कि सभी तहसीलों में 1359 आधार वर्ष के तहत खतौनी में रिकॉर्ड के अनुसार सरकारी भूमि फिलहाल कितनी उपलब्ध है और पता लगाया जाए कि बाकी जमीन कहां गयी। यहां यह उल्लेखनीय है कि अमरोहा जिले की मंडी धनौरा तहसील क्षेत्र में सक्रिय भू- माफिया सिंडिकेट के लगभग तीस से अधिक भू-माफियाओं पर रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शून्य है। अमरोहा के मंडी धनौरा तहसील क्षेत्र में सौ बीघा गंगा नदी की जमीन का सौदा करने जैसे अन्य मामलों में तहसील की मिलीभगत सामने आने से मामला शासन तक पहुंच गया है। वहीं मजदूरी करने गए वृद्ध ब्राह्मण की स्टेट हाइवे 51गजरौला चांदपुर मार्ग पर स्थित कुमराला पुलिस चौकी के समीप कृपानाथ पुर लगभग चार बीघा जमीन खाली पड़ी देख कर दबंगों ने अवैध कब्जा कर प्लाटिंग शुरु कर दी गई है।
भूमि को कब्जामुक्त कराने को कहने पर दबंगों ने वृद्ध के साथ गाली गलौज कर भगा दिया। पीड़ति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र भेजकर भूमि को कराने की मांग की है। आयुक्त द्वारा जिले के समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि भू-माफियाओं को चिन्हित किया जाए जिस भूमाफिया के दो या दो से अधिक जमीन संबंधी मामले दर्ज हैं, वो चाहे सरकारी जमीन के हो या प्राइवेट उनको भूमाफिया घोषित किया जाय । उन्होंने कहा कि यहां भू-माफियाओं का गैंग सक्रिय है और इस कार्य में बहुत से लोग संलिप्त हैं इस पर प्रभावी कार्यवाही किया जाए। इसी प्रकार जो कोर्ट में जमीन संबंधी मामले चल रहे हैं उन्हें भी चिन्हित किया जाए और 120 बी का आधार बनाकर प्रभावी कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कराए जाए। मंडलायुक्त ने कहा कि ऐसे मामले जिनमें पुलिस की संलिप्तता है पुलिस द्वारा कब्जा कराया जा रहा है उनको भी चिन्हित कर कार्यवाही किया जाए और ऐसी जमीनों का शीघ्र सर्वे कराया जाए ।
मंडलायुक्त ने कहा कि न्यायालय द्वारा लिए जाने वाले फैसले में विशेष ध्यान दिया जाए जाए,निर्णय देने के बाद स्वयं फाइल का गंभीरता से अध्ययन किया जाय, केवल पेशकार के भरोसे रह कर हस्ताक्षर न करें । उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि गुंडा एक्ट का कोई भी मामला छह माह से अधिक पेंडिंग ना रहे उसमें फैसला अवश्य ले लिया जाए या पुलिस को भेज दिया जाए कोई भी मामला छह माह से अधिक गुंडा एक्ट का नहीं दिखना चाहिए । आयुक्त ने सभी उप जिलाधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पैमाइश के प्रार्थना पत्रों पर विशेष ध्यान देकर आवश्यक कार्रवाई करें लेखपाल की रिपोर्ट पर भरोसा ना करें।