ब्रिटेन फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह समस्या से सही ढंग से निपटे

2023 के पहले दिन मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द कुमार जगन्नाथ ने घोषणा की कि मॉरिशस ने ब्रिटेन के साथ चागोस द्वीपसमूह की प्रभुसत्ता पर वार्ता की है। यह इस बात का द्योतक है कि चागोस द्वीपसमूह के पुनः मॉरीशस में वापस लौटने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उम्मीद है.

2023 के पहले दिन मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द कुमार जगन्नाथ ने घोषणा की कि मॉरिशस ने ब्रिटेन के साथ चागोस द्वीपसमूह की प्रभुसत्ता पर वार्ता की है। यह इस बात का द्योतक है कि चागोस द्वीपसमूह के पुनः मॉरीशस में वापस लौटने की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को उम्मीद है कि ब्रिटेन चागोस द्वीपसमूह की प्रभुसत्ता समस्या का निपटारा करने के बाद फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह की समस्या का सही ढंग से निपटारा कर सकेगा और जल्द ही अर्जेंटीना के साथ वार्ता की बहाली करेगा।

ब्रिटेन कभी सबसे अधिक विदेशी उपनिवेशों वाली यूरोपीय शक्ति था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, पश्चिमी औपनिवेशिक व्यवस्था टूट गई, लेकिन उपनिवेशवाद का भूत बना रहा। चागोस द्वीपसमूह अफ्रीकी द्वीप देश मॉरीशस की पुरानी भूमि थी। 1965 में मॉरीशस की स्वतंत्रता पाने की अतिरिक्त शर्त के रूप में ब्रिटेन ने इसे हिन्द महासागर में ब्रिटेन की भूमि बनाया और कहा कि वह उचित समय पर वापस देगा। फरवरी 2019 में संयुक्त राष्ट्र अदालत ने यह मान्यता दी कि ब्रिटेन द्वारा चागोस द्वीपसमूह पर नियंत्रण गैरकानूनी कार्रवाई है। मई माह में संयुक्त राष्ट्र संघ ने बहुमत से प्रस्ताव पारित कर ब्रिटेन से 6 महीने में इस द्वीप को मॉरीशस को वापस लौटाने की मांग की। जनवरी 2021 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अदालत ने सुनवाई की कि ब्रिटेन की चागोस द्वीपसमूह पर प्रभुसत्ता नहीं है और ब्रिटेन के न लौटाने की कार्रवाई की निंदा भी की। 

फ़ॉकलैंड द्वीपसमूह के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रासंगिक प्रस्ताव में साफ-साफ लिखा गया है। ब्रिटेन को इसे नजरअंदाज करने का कोई कारण नहीं है। गैर उपनिवेशवाद के लिए संयुक्त राष्ट्र विशेष समिति ने 30 से ज्यादा बार प्रस्ताव जारी कर ब्रिटिश सरकार से अर्जेंटीना के साथ वार्ता करने का आह्वान किया।

उपनिवेशवाद मानव सभ्यता के इतिहास में एक धब्बा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अर्जेंटीना का समर्थन करना बंद नहीं किया है। लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में लगभग सभी देश इस मुद्दे पर अर्जेंटीना का समर्थन करते हैं।

कतर में हुए विश्व कप के दौरान अर्जेंटीना के प्रशंसकों के गाना गाने और जश्न मनाने की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई थी। गीत अर्जेंटीना फ़ॉकलैंड को कभी नहीं भूलेगा”, जिसने दुनिया को हिला दिया। आशा है कि चागोस द्वीपसमूह के स्वामित्व को हल करने के बाद ब्रिटिश फ़ॉकलैंड द्वीप समूह के मुद्दे का सामना करेगा, और इसे अर्जेंटीना को वापस देने के लिए जल्द ही वार्ता फिर से शुरू करेगा। 21वीं सदी में उपनिवेशवाद का कोई स्थान नहीं है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

 

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