वाद्य यंत्र ड्रामयिन से ग्रामीण पुनरोद्धार गीत को बजाया जा रहा

ड्रामयिन (dramyin) को “तिब्बती बैंजो” या “तिब्बती गिटार” के नाम पर भी जाना जाता है, जो पारंपरिक तिब्बती गायन और नृत्य में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक कड़ा हुआ वाद्य यंत्र है। तिब्बती भाषा में ड्रामयिन का अर्थ “एक मधुर ध्वनि” है। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ड्रामयिन बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत.

ड्रामयिन (dramyin) को “तिब्बती बैंजो” या “तिब्बती गिटार” के नाम पर भी जाना जाता है, जो पारंपरिक तिब्बती गायन और नृत्य में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक कड़ा हुआ वाद्य यंत्र है। तिब्बती भाषा में ड्रामयिन का अर्थ “एक मधुर ध्वनि” है। चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में ड्रामयिन बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत के शिगात्से शहर की लाज़ी काउंटी में ड्रामयिन उत्पादन का एक लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 2014 में ड्रामयिन उत्पादन कौशल को चीनी राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत प्रतिनिधि परियोजना सूची के चौथे बैच में चुना गया। 47 वर्षीय सोलांगजोंगला इस परियोजना के उत्तराधिकारी हैं। उन्होंने 14 साल की उम्र में अपने पिता से यह कला सीखने का आरंभ किया और छह साल बाद स्नातक बने हैं। वर्ष 2010 में, उन्होंने और उनके दोस्तों के साथ ड्रामयिन बनाने के लिए जातीय हस्तशिल्प किसान व्यावसायिक सहकारी समिति की स्थापना की।

व्यवसाय की शुरुआती में, सोलांगजोंगला को धन की कमी और खराब बिक्री चैनल आदि कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2011 में, लाज़ी काउंटी की सरकार ने सोलांगजोंगला को उपकरण और प्रमुख कच्चे माल खरीदने में मदद करने के लिए 71 हजार युआन का धन दिया। इससे धन की तत्काल आवश्यकता हल हो गई। इसके बाद सोलांगजोंगला ने ड्रामयिन की उत्पादन प्रक्रिया में सुधार किया और श्रमिकों ने असेंबली लाइन पर काम करना शुरू कर दिया। इससे प्रत्येक ड्रामयिन बनाने के लिए 10 दिन से 3 दिन का समय कम हो गया। तकनीकी सुधार और उनकी अच्छी प्रतिष्ठा के लिए धन्यवाद, उनके उत्पादों का उत्पादन व बिक्री धीरे-धीरे बढ़ी है और सहकारी समिति की आय में लगातार वृद्धि हुई है।

स्थानीय सरकार अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की विरासत और विकास को मजबूत करती है। सोलांगजोंगला ने ग्रामीणों के साथ ड्रामयिन बनाने के अपने “हाउसकीपिंग कौशल” को साझा किया और पारंपरिक संस्कृति से ग्रामीण उद्योगों की समृद्धि को बढ़ाया है। वर्तमान में इस सहकारी समिति में दर्जनों प्रशिक्षु हैं और सहकारी समिति की अधिकतम वार्षिक आय दस लाख युआन से अधिक पहुंची है। उनके ड्रामयिन पूरे तिब्बत में बिकते हैं। अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को विरासत में लेने के साथ-साथ ग्रामीण पुनरोद्धार गीत को बजाया जा रहा है।

(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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