विश्व प्रसिद्ध होने के बावजूद नर्वदेश्वर मंदिर काे नहीं मिली कोई बड़ी पहचान, साइन बोर्ड लगाने की उठी मांग

सुजानपुर : उपमंडल में स्थित नर्वदेश्वर मंदिर कांगड़ा शैली के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर के भीतर कांगड़ा शैली की पेंटिंग दीवारों पर उकेरी गईं कलाकृतियां अपने आप में इतिहास सजोए हुए है। मंदिर की पहचान विश्व प्रसिद्ध है अक्सर मंदिर में दीवारों पर बनी कांगड़ा शैली की पेंटिंग कलाकृतियां देखने के लिए विश्व भर.

सुजानपुर : उपमंडल में स्थित नर्वदेश्वर मंदिर कांगड़ा शैली के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मंदिर के भीतर कांगड़ा शैली की पेंटिंग दीवारों पर उकेरी गईं कलाकृतियां अपने आप में इतिहास सजोए हुए है। मंदिर की पहचान विश्व प्रसिद्ध है अक्सर मंदिर में दीवारों पर बनी कांगड़ा शैली की पेंटिंग कलाकृतियां देखने के लिए विश्व भर के पर्यटक पहुंचते रहते हैं। मंदिर के भीतर भगवान भोलेनाथ शिवलिंग ग्रुप में विराजमान है। शिवलिंग के चारों तरफ नंदी लक्ष्मी गौरी कार्तिकेय विराजमान है भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाले इस ऐतिहासिक पौराणिक मंदिर की विश्व भर में अपनी अलग पहचान है जिस तरह से कांगड़ा जिला के बैजनाथ मंदिर की अलग पहचान है। उसी तरह सुजानपुर के नर्वदेश्वर मंदिर की भी लोगों में अलग आस्था है, हालांकि जिस तरह से बैजनाथ मंदिर को पर्यटन एवं रोजगार की दृष्टि से विकसित किया गया है उस की तर्ज पर सुजानपुर का नर्वदेश्वर मंदिर शून्य है। आलम यह है कि विश्व प्रसिद्ध होने के बावजूद नर्वदेश्वर मंदिर कहां है।

सुजानपुर शहर के किस कोने में स्थापित है किस वार्ड में बना है संबंधित विषय पर एक भी साइन बोर्ड कहीं भी स्थापित नहीं है। बात अगर जिला मुख्यालय से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक प्रत्येक उच्च अधिकारी के कमरे में नर्वदेश्वर मंदिर की बड़ी फोटो लगी हुई दिखाई देती है। प्रतिवर्ष सुजानपुर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय होली मेले के निमंत्रण पत्र पर भी मंदिर की फोटो महाराजा संसार चंद किले की फोटो प्रमुखता से प्रकाशित होती है, लेकिन अफसोस मंदिर आज भी विश्व प्रसिद्धि प्राप्त करने के बावजूद अपने आप को असहाय महसूस करता है। पुरातत्व विभाग ने मंदिर की सुरक्षा साफ सफाई की व्यवस्था हेतु कर्मियों की तैनाती कर रखी है बाकायदा प्रात: संध्या आरती पूजा पाठ का भी प्रबंध है लेकिन सूचना एवं पर्यटन रोजगार की दृष्टि से मंदिर आज भी अंतिम पंक्ति में खड़ा है।

मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि महोत्सव पर हजारों लोग दर्शन दीदार करने के लिए उमडते हैं लंबी-लंबी लाइने यहां लगी हुई दिखाई पड़ती हैं वार्षिक भंडारा आयोजित होता है, लेकिन उसके बाद एक बार फिर से मंदिर परिसर में सन्नाटा पसर जाता है। आसपास के लोग एवं कुछेक स्थानीय लोग मंदिर में दर्शन के लिए प्रतिदिन पहुंचते हैं लेकिन जिस तरह से इस मंदिर को विश्व प्रसिद्ध माना गया है उस दृष्टि से तमाम दावे शून्य हैं इस मंदिर की विश्व प्रसिद्दी होने के बावजूद इसके प्रचार-प्रसार में कमी क्यों है। मंदिर के साइन बोर्ड क्यों सुजानपुर मुख्यालय पर स्थापित नहीं करवाए गए हैं तमाम बातों पर प्रश्नचिह्न लगा है।

मंदिर की पहचान को बढ़ाने के लिए प्रशासन करें काम

मंदिर की एक अलग पहचान बनी है इस पहचान को और बढ़ाया जा सके इसको लेकर प्रशासन काम करें तभी बात आगे बढ़ेगी स्थानीय विषय पर वार्ड नंबर 2 के पार्षद शकुंतला देवी से बात की तो उन्होंने बताया नगर परिषद की बैठक में इस विषय पर चर्चा होगी साइन बोर्ड शहर के चारों तरफ लगाए जाएं उस पर प्रस्ताव डाला जाएगा।

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