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Corona ने बदतर बना दी हालतः डायबिटीज के मामलों में तेजी से हुआ इजाफा

नई दिल्ली : एशिया और अफ्रीका में डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसकी एक बड़ी वजह कोरोना महामारी के दिनों में लोगों की बदल गई आदतों को बताया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाऊन के दिनों में घर पर रहने के कारण बहुत से लोगों की जीवन-शैली सुस्त हो गई।.

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नई दिल्ली : एशिया और अफ्रीका में डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसकी एक बड़ी वजह कोरोना महामारी के दिनों में लोगों की बदल गई आदतों को बताया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक लॉकडाऊन के दिनों में घर पर रहने के कारण बहुत से लोगों की जीवन-शैली सुस्त हो गई। उसका नतीजा उनमें से अनेक लोगों के डायबिटीज का मरीज बनने के रूप में सामने आया है। वैसे मध्य वर्गीय परिवारों में बढ़ रहे मोटापे के कारण यह रोग कोरोना महामारी के पहले भी फैल रहा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 2021 में डायबिटीज पीड़ित मरीजों की संख्या दस साल पहले की तुलना में 5.2 गुना ज्यादा हो चुकी थी।

इस्लामाबाद स्थित शिफा इंटरनैशनल हॉस्पिटल में डायबिटीज विशेषज्ञ मतिउल्लाह खान ने इस वैबसाइट से कहा- पहले पाकिस्तान में डायबिटीज 40 साल से ज्यादा उम्र में ही होती थी, लेकिन धीरे-धीरे 30 वर्ष और अब 20 वर्ष से अधिक के लोग भी इससे पीड़ित होने लगे हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर डायबिटीज का ठीक से इलाज न हो, तो यह हृदय रोग, स्ट्रोक (पक्षाघात) या अंधेपन का कारण बन सकता है।इस्लामाबाद स्थित संस्था डायबिटीज सैंटर के एक अधिकारी ने बताया कि देश में इस रोग को लेकर जागरूकता का अभाव है।

विकासशील देशों के मामलों में तेज बढ़ौतर

अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनैशनल डायबिटीज फैडरेशन ने एक हालिया रिपोर्ट में बताया है कि 2021 में विकासशील देशों में डायबिटीज के मामलों में तेज बढ़ौतरी हुई। इसके आधार पर अनुमान लगाया गया है कि साल 2045 तक एशिया और अफ्रीका में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या 56 करोड़ तक पहुंच जाएगी। तब तक सिर्फ दक्षिण एशिया में अभी की तुलना में 70 फीसदी बढ़ौतरी के साथ इस रोग के 22 करोड़ मरीज हो चुके होंगे।

डायबिटीज का कारण पैनक्रियाज का ठीक से काम न करना होता है

विशेषज्ञों के मुताबिक डायबिटीज का कारण पैनक्रियाज (अग्नाशय ग्रंथि) का ठीक से काम न करना होता है। पैनक्रियाज पर्याप्त मात्र में इंसुलिन बनाने में अक्षम हो जाता है, तो खून में शुगर की मात्र बढ़ने लगती है। इस रोग के दो प्रकार होते हैं। इसके टाइप-1 के मरीजों में इसकी वजह वंशानुगत होती है, जबकि टाइप-2 डायबिटीज जीवन शैली संबंधी कारणों से होता है। 90 फीसदी डायबिटीज मरीज टाइप-2 श्रेणी में आते हैं। ताजा अध्ययन रिपोर्टो के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रसार से डायबिटीज की स्थिति बदतर हो गई है। अमरीका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया की एक स्टडी के मुताबिक नवंबर 2021 में लोग महामारी से पहले की तुलना में रोजाना औसतन दस फीसदी कम कदम चल रहे थे। यह अध्ययन कार्डियोलॉजिस्ट एक टिसन ने किया।

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