नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने कई स्तनधारी प्रजातियों में एक जीन की पहचान की है जो मनुष्यों और जानवरों के लिए अत्यंत प्रभावी और गैरहार्मोनल पुरुष गर्भनिरोधक का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। अमरीका में वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी (डब्ल्यूएसयू) की टीम ने चूहों, सूअरों, मवेशियों और मनुष्यों के वृषण में जीन, एआरआरडीसी5 की पहचान की।
जब उन्होंने चूहों में इस जीन को हटाया तो इसने केवल नर में बांझपन पैदा किया, जिससे उनके शुक्राणुओं की संख्या, गति और आकार प्रभावित हुआ। डब्ल्यूएसयू के ‘स्कूल आॅफ मॉलिक्यूलर बायोसाइंसेज’ में प्रोफैसर जॉन ओटली ने कहा, अध्ययन में पहली बार इस जीन की पहचान केवल वृषण ऊतक में हुई है, शरीर में कहीं और नहीं। इसे कई स्तनधारी प्रजातियों में पाया गया है।
जर्नल ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित अध्ययन के वरिष्ठ लेखक ओटली ने कहा, जब यह जीन पुरुषों में निष्क्रिय या बाधित होता है, तो वे ऐसे शुक्राणु बनाते हैं जो अंडे को निषेचित नहीं कर सकते हैं और यह पुरुष गर्भनिरोधक विकास का प्रमुख लक्ष्य है। संभावित पुरुष गर्भनिरोधक के विकास के लिए अन्य आणविक लक्ष्यों की पहचान की गई है लेकिन एआरआरडीसी5 जीन नर वृषण के लिए विशिष्ट है और कई प्रजातियों में पाया जाता है।
जीन की कमी महत्वपूर्ण रूप से संतानोत्पत्ति की क्षमता खत्म होने का कारण बनती है, जिसे ओलिगोएस्थेनोटेरोर्स्पिमया या ओएटी कहा जाता है। यह स्थिति, पुरुष बांझपन के लिए सबसे आम निदान, उत्पादित शुक्राणु की मात्रा में कमी, धीमी गतिशीलता और विकृत आकार को दर्शाती है ताकि शुक्राणु अंडे के साथ निषेचन करने में असमर्थ हों। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन से संकेत मिलता है कि सामान्य शुक्राणु उत्पादन के लिए इस जीन द्वारा ‘एन्कोडेड प्रोटीन’ की आवश्यकता होती है।