नई दिल्ली: वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि सार्स-सीओवी2 वायरस का ओमिक्रोन स्वरूप कुतरने वाले जीवों (रोडेंट) से उत्पन्न हुआ है। कुतरने वाले जीवों में चूहा, खरगोश गिलहरी आदि शामिल हैं जिनके आगे के दांत मजबूत और धारदार होते हैं। वैज्ञानिक उन कारणों की जांच कर रहे हैं जिनके जरिए महामारी के दूसरे वर्ष में सार्स-सीओवी-2 के इतने सारे ‘म्यूटेशन’ सामने आए और ऐसी आशंका है कि रोडेंट के कारण ओमिक्रोन वीओसी स्वरूप का उद्भव हुआ हो।
क्रिश्चियन मैडीकल कालेज, वेल्लोर और अन्य भारतीय संस्थानों के शोधकर्त्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 के ओमिक्रोन स्वरूप की संभावित उत्पत्ति के लिए पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित एक शोध पत्र में अपनी परिकल्पना का प्रस्ताव दिया है, जो वायरस कोविड19 का कारण बनता है। एक पिछले अध्ययन में सुझाव दिया गया था कि सार्स-सीओवी2 वायरस का ओमिक्रोन स्वरूप एक पशु प्रजाति से मनुष्यों में फैल सकता है।
इस पत्र में उन्होंने ओमिक्रोन स्वरूप की संभावित उत्पत्ति के लिए दो परिकल्पनाओं को सामने रखकर अध्ययन शुरू किया-सबसे पहले, लंबे समय तक सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के साथ एक व्यक्ति में म्यूटेशन पहुंच रहा है और दूसरा एक पशु प्रजाति में रिवर्स जूनोसिस द्वारा संक्रमण। जब मनुष्यों से कोई संक्रामक बीमारी जानवरों में पहुंचती है तो उसे रिवर्स जूनोसिस कहा जाता है।