Himachal में प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की अवैध फैक्टरी का पर्दाफाश, साईं इंडस्ट्री को सील

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। जिले के राजगढ़ में सोलन रोड़ पर अवैध फैक्टरी साईं इंडस्ट्री लगाकर प्रतिबंधित कैरी बैगस का उत्पादन किया जा रहा था। जिले में करीब एक महीने पहले ही फैक्टरी में उत्पादन शुरू किया.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर बड़ी कार्रवाई की है। जिले के राजगढ़ में सोलन रोड़ पर अवैध फैक्टरी साईं इंडस्ट्री लगाकर प्रतिबंधित कैरी बैगस का उत्पादन किया जा रहा था। जिले में करीब एक महीने पहले ही फैक्टरी में उत्पादन शुरू किया गया था। दरअसल, राजगढ़ में अचानक ही प्रतिबंधित नॉन वोवन थैलियों की बाढ़ आ गई। इसकी भनक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को लगी। बोर्ड की टीम ने फैक्टरी में दबिश दी। इस दौरान खुलासा हुआ कि उद्योग में 80 जीएसएम से कम मोटाई के नॉन वोवन बैग बनाए जा रहे थे।

गौरतलब है कि राज्य में 80 जीएसएम से अधिक के नॉन वोवन बैग इस्तेमाल हो सकते हैं। जैसे-जैसे जीएसएम बढ़ता है, वैसे-वैसे प्लास्टिक की मात्र भी कम होती रहती है। जांच के दौरान ये भी पता चला कि फैक्टरी को उद्योग विभाग से भी पंजीकृत नहीं करवाया गया था।

उधर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योग की बिजली एवं पानी के कनेक्शन काटने का अनुमोदन भी किया है। साथ ही राजगढ़ के एसडीएम और डीएसपी को प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी जारी करने का भी आग्रह किया है। बोर्ड की टीम ने फैक्टरी को सील कर दिया है। साथ ही उत्पादित खेप को भी फैक्टरी में ही रहने दिया गया है, लेकिन इसकी बाकायदा फोटो एवं वीडियोग्राफी की गई है। राजगढ़ नगर पंचायत को भी बाजार में प्लास्टिक के इस्तेमाल को लेकर निगरानी बरतने के आदेश दिए गए हैं।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक अभियंता पवन शर्मा ने साईं इंडस्ट्री को सील करने की पुष्टि की। साथ ही कहा कि फैक्टरी में अवैध तरीके से नॉन वोवन बैगस का उत्पादन हो रहा था। 80 जीएसएम से कम मोटाई के बैगस का उत्पादन प्रतिबंधित है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये भी माना कि ये उत्पादन करीब एक महीने पहले ही शुरू हुआ था। इसकी जानकारी मिलते ही टीम ने फैक्टरी में दबिश दी। उन्होंने कहा कि बोर्ड के मुख्यालय को विस्तृत रिपोर्ट भेज दी गई है। बोर्ड द्वारा ही पर्यावरण मुआवजा भी तय किया जाएगा।

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