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ब्रिक्स समिट में दिखी चीन और भारत की अहमियत, मोदी-शी चिनफिंग की मुलाकात ने खींचा सबका ध्यान 

China News : रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन कई मायनों में बेहद खास रहा है। ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन था, जिसने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। रूस के कजान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में ब्रिक्स ने 13.

China News : रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्टूबर के बीच हुआ 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन कई मायनों में बेहद खास रहा है। ब्रिक्स के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन था, जिसने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। रूस के कजान में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में ब्रिक्स ने 13 देशों को पार्टनर देश का दर्जा भी दिया है, यानि हर मोर्चे पर यह आयोजन दुनियाभर में एक बार फिर चर्चा में रहा। भारत चीन और रूस इस आयोजन के केंद्र में रहे। खास तौर पर रूस जैसे बड़े देश में भारत और चीन की अहमियत एक बार फिर पूरी दुनिया ने देखी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर सहमति बनती दिखी। जबकि भारत और चीन के बीच नए रिश्तों के तौर पर भी यह ब्रिक्स समिट देखी जाएगी।

मोदी- शी चिनफिंग की मुलाकात रही खास 

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के कजान शहर में मिले, दोनों नेताओं ने गर्मजोशी के साथ एक दूसरे से मुलाकात की और दोनों के बीच करीब 50 मिनट तक कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। जहां दोनों राष्ट्रध्यक्षों ने भारत और चीन के बीच आपसी सहयोग और आपसी विश्वास को बनाए रखने पर जोर देते हुए भविष्य में काम करने की बात कही है। पीएम मोदी ने कहा कि आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों की नींव हमारे बीच बनी रहनी चाहिए, इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि हम खुले मन से बात करेंगे और हमारी चर्चा कंस्ट्रक्टिव होगी। वहीं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा भारत और चीन को संबंध स्थिर बनाए रखने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए, जिससे दोनों देशों के विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके।यानि दुनिया के दो ताकतवर और अहम राष्ट्र की यह मित्रता विश्व में विकास और शांति के लिए अहम रही। 

क्यों एक दूसरे के लिए जरूरी है भारत और चीन

खास बात यह है कि भारत और चीन के संबंध बहुत पुराने है और पड़ोसी देश होने के नेता दोनों एक दूसरे के लिए हर स्थिति में जरूरी भी है। पिछले कुछ समय में दोनों देशों के बीच जमी बर्फ पिघली भी और गर्मजोशी भी दिखी है। सीमा सुरक्षा, विकास और व्यापार के आधार पर भारत और चीन न केवल एक दूसरे के लिए बल्कि विश्व के लिए भी अहम हैं। इसलिए ब्रिक्स समिट के दौरान हुई मुलाकात में दोनों देश आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। जिसमें भारत और चीन में विकास परियोजनाओं में सहयोग करते हैं, बुनियादी ढांचे में सुधार और तकनीकी नवाचार पर दोनों राष्ट्र मिलकर काम करेंगे। लगातार हुई मुलाकातों और चर्चा के दौरों के बाद दोनों राज्यों के बीच मित्रता के संबंध और मधुर हुए हैं। 

चीन के लिए भी अहम रहा ब्रिक्स सम्मेलन

16 वां ब्रिक्स सम्मेलन कई मायनों में चीन के लिए भी बेहद अहम रहा। चीन दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ-साथ एक मजबूत देश है, जो हर मायने में दुनिया के लिए अहम रहता है। दरअसल, पिछले कुछ समय में चीन ने अपनी नीतियों में कई अहम बदलाव किए हैं। आर्थिक विकास, बाजारवाद, व्यापार, सैन्य शक्ति से लेकर कई मुद्दों पर चीन का बढ़ती स्वीकार्यता अब दिखने लगी है। यही वजह रही ब्रिक्स सम्मेलन में भारत और रूस के साथ दुनिया की नजरें चीन पर भी थी। खास तौर पर ग्लोबल साउथके लिए भी चीन एकजुटता के माध्यम से ताकत हासिल कर नए युग की शुरुआत करने का इच्छुक रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी इस बारे में कहा था चीन अन्य पक्षों के साथ मिलकर ब्रिक्स सहयोग के स्थिर एवं सतत विकास के वास्ते प्रयास करने तथा ग्लोबल साउथके लिए एकजुटता के माध्यम से शक्ति प्राप्त करने और संयुक्त रूप से विश्व शांति एवं विकास को बढ़ावा के लिए एक नए युग के द्वार खोलने के लिए तैयार है।यानि चीन हर मोर्चे पर अब तेजी से आगे बढ़ना चाहते हैं। 

16वां ब्रिक्स सम्मेलन ने खींचा दुनिया का ध्यान 

फिलहाल पूरी दुनिया उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही है। ऐसे में रूस की अध्यक्षता में हुए 16वें ब्रिक्स सम्मेलन ने एक बार फिर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। क्योंकि इस बार के  शिखर सम्मेलन का विषय न्यायपूर्ण वैश्विक विकास एवं सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करनाथा। इसलिए संगठन विस्तार के बाद हुई यह ब्रिक्स समिट काफी अहम मानी गई। रूस ने लगातार ब्रिक्स करेंसी की बात की है, जो अमेरिकी डॉलर की मनमानी पर लगाम लगाने के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में इस काम के लिए भी चीन और भारत बहुत जरूरी हैं। इसके अलावा विकास, व्यापार और शांति के मुद्दे पर भी सभी देशों के बीच संवाद हुआ। खास बात यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के मुद्दे पर भी चीन और भारत ने एक साथ शांति से सुलझाने की बात सबके सामने रखी। इसलिए इस बार की यह समिट कई मायनों में बेहद खास रही। 

दुनिया में तेजी से बढ़ता समूह है ब्रिक्स 

ब्रिक्स दुनिया की तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। रूस के कजान में हुए इस समिट में रूस, चीन, भारत, ब्राजील और साउथ अफ्रीका समेत 28 देशों के राष्ट्र प्रमुख पहुंचे थे। जिन्होंने भविष्य की कई योजनाओं पर अपनी राय रखी है। बता दें कि ब्रिक्स के सदस्य देश दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत जमीन और वैश्विक आबादी के 45 प्रतिशत को शामिल करते हैं, जो दुनिया की वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। जो इसकी ताकत का एहसास पूरी दुनिया को कराता है। ब्रिक्स के व्यापक लक्ष्य – सतत विकास और पश्चिमी वित्तीय संस्थानों पर निर्भरता कम करने में योगदान मिला है, यही वजह है कि भविष्य के नजरिए से भी रूस, भारत और चीन ब्रिक्स की सबसे बड़ी मजबूती हैं।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)  (लेखक—दिव्या तिवारी)

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