अमृतसर(डुडेजा) : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को ‘विश्व ध्यान दिवस’ घोषित किया है, जो मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और समग्र मानव कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाएगा। भारत ने इस प्रस्ताव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा के साथ मिलकर इसे प्रस्तुत किया।
यह पहल भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (पूरा विश्व एक परिवार है) के सिद्धांत के अनुरूप है, जो समग्र मानव कल्याण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। 21 दिसंबर को शीतकालीन संक्रांति होती है, जिसे भारतीय परंपरा में ‘उत्तरायण’ की शुरुआत माना जाता है। यह समय विशेष रूप से आंतरिक चिंतन और ध्यान के लिए शुभ माना जाता है।
यह दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के ठीक छह महीने बाद आता है, जो ग्रीष्म संक्र शांति का दिन होता है। विश्व ध्यान दिवस का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, शांति स्थापित करना और सतत विकास को प्रोत्साहित करना है। ध्यान एक प्राचीन अभ्यास है, जो आधुनिक समय में आंतरिक परिवर्तन और शांति प्राप्त करने के लिए प्रभावी साधन माना जाता है।
यह मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक और आध्यात्मिक पहलुओं सहित व्यापक मानव कल्याण का लक्ष्य रखता है। इस अवसर पर, हम सभी को ध्यान की शक्ति को अपनाकर सकारात्मकता और मानिसक शांति की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए, ताकि एक शांतिपूर्ण और सद्भावनापूर्ण विश्व का निर्माण हो सके।