नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने हाल ही में चुनावी नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं। अब, मतदान केंद्रों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज और अन्य चुनावी दस्तावेजों को आम जनता और उम्मीदवारों को देने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। इस फैसले के बाद कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है। चलिए जानते है इस खबर को विस्तार से…
क्या बदलाव किया गया…
बता दें कि चुनाव संचालन नियमों की धारा 93(2) के तहत पहले यह प्रावधान था कि चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेजों को अदालत की अनुमति से सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खोला जा सकता था। लेकिन हालिया संशोधन में चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया है कि चुनावी वीडियोग्राफी, सीसीटीवी फुटेज, और चुनावी फॉर्म 17-सी की कॉपी अब सार्वजनिक दस्तावेजों की श्रेणी में नहीं आएंगे।
यह बदलाव एक याचिका के बाद किया गया था, जिसमें चुनाव आयोग से सीसीटीवी फुटेज और अन्य चुनावी दस्तावेजों की कॉपियां हासिल करने का अनुरोध किया गया था। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े जरूरी डॉक्यूमेंट्स एडवोकेट महमूद प्राचा को देने के निर्देश दिए थे। इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने नए बदलाव किए।
संशोधन में क्या जोड़ा गया
दरअसल, संशोधन के बाद शुक्रवार को चुनाव आयोग ने चुनाव संचालन नियमों की धारा 93, उप-धारा (2) के खंड (ए) में एक नया स्पष्टीकरण जोड़ा। इसमें यह कहा गया कि “कागजात” शब्द के बाद “specified in these rules” जोड़ा जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब चुनावी डॉक्यूमेंट्स में कोई भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या सीसीटीवी फुटेज शामिल नहीं होंगे।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
वहीं चुनाव आयोग के इस फैसले पर कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस संशोधन को कोर्ट में चुनौती देगी। जयराम रमेश ने चुनाव आयोग पर पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि हाल के दिनों में चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को नुकसान पहुंचाने के हमारे आरोपों को सच साबित किया है, तो यही वही मामला है।
चुनाव आयोग का बचाव
चुनाव आयोग ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह कदम मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा के लिए उठाया गया है। आयोग ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करना सुरक्षा के लिहाज से सही नहीं होगा, खासकर उन इलाकों में जहां गोपनीयता बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे जम्मू-कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्र। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि फुटेज के सार्वजनिक होने से शरारत और गड़बड़ी की संभावनाएं बढ़ सकती हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।