उत्तर प्रदेश : प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत और 90 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में घटनास्थल पर हुई भगदड़ के कारणों की जांच और इसमें जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। साथ ही, भविष्य में धार्मिक आयोजनों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस व्यवस्था बनाने की भी अपील की गई है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
याचिका में उठाए गए मुद्दे
महाकुंभ का 18वां दिन और प्रशासनिक कदम
प्रयागराज महाकुंभ का आज 18वां दिन है। मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है। इसके साथ ही, पुलिस इन्क्वायरी भी शुरू कर दी गई है।
3 फरवरी को अमृत स्नान, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
आपको बता दें कि 3 फरवरी को बसंत पंचमी के मौके पर अमृत स्नान होगा। इस अवसर पर सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा। यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी प्रयागराज का दौरा करेंगे। प्रशासन ने पूरे मेला क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया है। सभी वीआईपी पास रद्द कर दिए गए हैं और श्रद्धालुओं को 4 फरवरी तक पैदल ही संगम तक जाने की अनुमति दी गई है। प्रयागराज शहर में अब चार पहिया गाड़ियों की एंट्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। सिर्फ बाइक, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को शहर में जाने की इजाजत होगी।
भगदड़ में 30 की मौत, 90 घायल
कल हुए हादसे में 90 लोग घायल हुए, जिनमें से 30 लोगों की मौत हो गई है। घायलों में 36 का इलाज जारी है, जबकि 24 को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। मरने वालों में यूपी के 19, कर्नाटक के 4 और गुजरात और असम के एक-एक श्रद्धालु शामिल हैं। 5 शवों की शिनाख्त अभी तक नहीं हो पाई है। मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ ने प्रशासन के लिए कई सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई जनहित याचिका में इन घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है। साथ ही, भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए एक बेहतर व्यवस्था बनाने की मांग की गई है।