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शहीद अब्दुल हमीद के नाम को School गेट से हटाने पर परिवार ने जताई नाराज़गी…भारत-PAk युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका

नेशनल डेस्क : परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम से जुड़ा गाजीपुर का एक विद्यालय अब ‘पीएम श्री कंपोजिट विद्यालय धामुपुर’ के नाम से अंकित करा दिया गया है। यह बदलाव शहीद के परिवार और स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी का कारण बन गया है। पहले इस विद्यालय का नाम ‘शहीद हमीद.

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नेशनल डेस्क : परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम से जुड़ा गाजीपुर का एक विद्यालय अब ‘पीएम श्री कंपोजिट विद्यालय धामुपुर’ के नाम से अंकित करा दिया गया है। यह बदलाव शहीद के परिवार और स्थानीय लोगों के बीच नाराजगी का कारण बन गया है। पहले इस विद्यालय का नाम ‘शहीद हमीद विद्यालय’ था, जो अब हटा दिया गया है। बता दें कि शहीद वीर अब्दुल हमीद के परिवार ने इस नाम परिवर्तन को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। परिवार के सदस्य और स्थानीय लोग इस बदलाव से बहुत दुखी हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) से फोन पर शिकायत भी की है और इस बदलाव को रिवर्स करने की मांग की है।

स्थानीय लोगों की नाराजगी

विद्यालय का नाम बदलने से इलाके के लोग भी नाराज़ हैं। उनका कहना है कि शहीद वीर अब्दुल हमीद ने अपनी वीरता से देश के लिए अपनी जान दी, और उनका नाम सम्मान के साथ इस विद्यालय में अंकित होना चाहिए था। स्थानीय समुदाय ने मांग की है कि विद्यालय का नाम पहले जैसा रखा जाए ताकि शहीद की वीरता और उनकी यादें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सकें। यह विवाद अब शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन के बीच चर्चा का विषय बन गया है। शहीद के परिवार और स्थानीय लोगों ने उम्मीद जताई है कि इस मुद्दे पर जल्द कोई ठोस कदम उठाया जाएगा और नाम बदलने की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाएगा।

अब्दुल हमीद की वीरता की कहानी

दरअसल, 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद ने अपनी बहादुरी से इतिहास रचा था। उन्होंने अकेले तीन पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट कर दिया था, जो कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए गए अजेय माने जाते थे। इस वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने राष्ट्रपति से यह सम्मान प्राप्त किया था। शहीद अब्दुल हमीद के परिवार ने अधिकारियों से मांग की है कि उनके नाम को स्कूल के मुख्य प्रवेश द्वार पर फिर से अंकित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनकी वीरता को हमेशा याद रखें।

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