कश्मीर के दुर्लभ हिरण के लिए लगाए जाएंगे सवा लाख पेड़

जम्मू: कश्मीर की दुर्लभ हिरण प्रजाति जिसे हंगुल के नाम से जाना जाता है के नाजुक पर्यावरण की रक्षा के लिए एक सामाजिक उद्यम ने इस संरक्षित जानवर के आवास में 1,25,000 से अधिक पौधे लगाने का फैसला किया है। चूंकि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव न केवल पर्यावरण पर बल्किकश्मीर घाटी में दुर्लभ और विशिष्ट.

जम्मू: कश्मीर की दुर्लभ हिरण प्रजाति जिसे हंगुल के नाम से जाना जाता है के नाजुक पर्यावरण की रक्षा के लिए एक सामाजिक उद्यम ने इस संरक्षित जानवर के आवास में 1,25,000 से अधिक पौधे लगाने का फैसला किया है। चूंकि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव न केवल पर्यावरण पर बल्किकश्मीर घाटी में दुर्लभ और विशिष्ट वन्य जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं, इसलिए हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता है। हंगुल मध्य एशियाई लाल हिरण की एक उप-प्रजाति है जो जम्मू-कश्मीर और उत्तरी हिमाचल प्रदेश की घाटी और पहाड़ों के घने नदी जंगलों में पाई जाती है।

इस पहल का उद्देश्य जनसंख्या को विलुप्त होने से रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करना है। इंटरनैशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन आॅफ नेचर (आईयूसीएन) ने पहले ही हंगुल को रैड डाटा बुक में गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया है और जानवर को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत रखा है, जो हंगुल के हमेशा के लिए गायब होने के आसन्न खतरे को उजागर करता है। उक्त बात ग्रो-ट्रीज.कॉम के सहसंस्थापक प्रदीप शाह ने कहा।

उन्होंने कहा कि स्थिति के जवाब में और हंगुल संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए देश में वनीकरण परियोजनाओं में सक्रि य रूप से शामिल सामाजिक उद्यम ग्रोट्रीज.कॉम ने ट्रीज फॉर हंगुल परियोजना शुरू की है। शाह ने कहा कि पेड़ लगाकर कार्यक्र म हंगुल के आवास को बहाल करने की दिशा में काम करता है और जैसे-जैसे ये पेड़ परिपक्व होते हैं, वे कार्बन पृथक्करण, स्थायी जल आपूर्ति और हंगुल के लिए पोषण का एक स्वस्थ स्रोत जैसे महत्वपूर्ण पारिस्थितिक लाभ प्रदान करते हैं। वनीकरण जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद करता है।

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