12 घंटे Surgery और 20 Doctors, शख्स को लगाए गए ब्रेन डैड महिला के दोनों हाथ, दिया नया जीवन

नई दिल्ली: दिल्ली के 45 वर्षीय राजकुमार ने रेल हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे लेकिन सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों ने ब्रेन डैड महिला के हाथों को राजकुमार को प्रत्यारोपित कर उन्हें नई जिंदगी दी है। यह काम इतना आसान भी नहीं था। सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि.

नई दिल्ली: दिल्ली के 45 वर्षीय राजकुमार ने रेल हादसे में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे लेकिन सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों ने ब्रेन डैड महिला के हाथों को राजकुमार को प्रत्यारोपित कर उन्हें नई जिंदगी दी है। यह काम इतना आसान भी नहीं था। सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों का कहना है कि 20 विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने इस मुश्किल सर्जरी को अंजाम देने में मदद की। यह सर्जरी इनती जटिल थी कि इसमें 12 घंटे का समय लगा। डाक्टरों का कहना है कि राजकुमार की 70 से 80 फीसदी तक हाथों की साधारण मूवमैंट लौट सकती है लेकिन इसमें 6 से 7 महीने का वक्त लगेगा।

दरअसल, अक्तूबर 2020 में, राजकुमार नांगलोई रेलवे ट्रैक के पास अपने साइकिल से गुजर रहे थे तभी साइकिल का संतुलन बिगड़ा और वो रेलवे ट्रैक पर गिर पड़े। उसी वक्त वहां से ट्रेन गुजरी और राजकुमार के दोनों हाथ कट गए। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया और इलाज के बाद उनके आर्टिफिशियल हाथ लगा दिए गए। हालांकि, ये हाथ ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे।

राजकुमार की जिंदगी ने एक बार फिर से करवट ली जब सर गंगाराम अस्पताल को हाथों के प्रत्यारोपण के लिए अनुमति मिली। इस साल जनवरी में दिल्ली के कालकाजी इलाके में रहने वाली स्कूल की रिटायर्ड प्राचार्य को ब्रेन डैड घोषित किया गया और उनके परिवार ने उनके सभी अंगों को दान करने का फैसला किया। उनके हाथों को राजकुमार के लिए सुरक्षित किया गया। राजकुमार को कॉल करके अस्पताल बुलाया और डोनर से मैचिंग की गई।

फिर एक साथ 2 आप्रेशन किए गए। एक जगह से हाथ निकाले गए और राजकुमार के हड्डियों, रक्तवाहनियों, मांसपेशियों और त्वचा से जोड़ा गया। डाक्टर निखिल ने बताया कि यह बेहद जटिल सर्जरी थी। इसमें 12 घंटे लगे। दिल्ली में हुए इस पहले आप्रेशन को गंगाराम अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी के प्रमुख डा. महेश मंगल और हैंड माइक्रोसर्जरी के डा. निखिल झुनझुनवाला समेत 20 विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम ने अंजाम दिया।

उत्तर भारत का पहला मामला
पेशे से पेंटर का काम करने वाले राजकुमार का कहना है कि वे अब फिर से कुछ महीने बाद अपने हाथों से काम शुरू कर सकेंगे। गंगाराम अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डाक्टर निखिल झुनझुनवाला का कहना है कि दोनों हाथों के प्रत्यारोपण का यह उत्तर भारत का पहला मामला है।

80% लौट सकती है मूवमैंट
डाक्टर निखिल ने बताया कि मरीज की 70 से 80 फीसदी तक हाथों की साधारण मूवमैंट लौट सकती है, लेकिन इसमें 6 से 7 महीने लगेंगे। इसके अलावा वह वापस पेंटर का काम कर पाए, इसमें कम से कम डेढ़ साल लग सकता है। राजकुमार ने बताया कि वे बेहद खुश हैं कि उनके हाथ मौजूद हैं और वह दोबारा पेंटिंग का काम कर सकेंगे। उन्हें वीरवार को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।

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