हनीबी मैन हीरा : मधुमक्खियों से नहीं लगता डर, पढ़ें राेचक कहानी

केंद्रपाड़ाः आमतौर हम लोग मधुमक्खी के छत्ते अथवा इनके झुंड को देखते ही डंक मारे जाने के डर से भागने लगते है या अपने आप को बचाने के लिए छिपने की जगह खोजते है। केंद्रपाड़ा के औल में एक पान की दुकान पर शहद वाली मधुमक्खियों के झुंड हर दिन दुकान के मालिक गणोश चंद्र.

केंद्रपाड़ाः आमतौर हम लोग मधुमक्खी के छत्ते अथवा इनके झुंड को देखते ही डंक मारे जाने के डर से भागने लगते है या अपने आप को बचाने के लिए छिपने की जगह खोजते है। केंद्रपाड़ा के औल में एक पान की दुकान पर शहद वाली मधुमक्खियों के झुंड हर दिन दुकान के मालिक गणोश चंद्र रॉय उर्फ हीरा की दुकान पर आता हैं, जो उन्हें मीठा पान मसाला खिलाते हैं। हैरानी की बात यह है कि मधुमक्खियां न तो मालिक को डंक मारती हैं और न ही दुकान पर आने वाले ग्राहकों को। औल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत लोकापाड़ा गांव का निवासी हीरा कभी ओपेरा में पेशेवर कलाकार था और उसने महिला पात्र की भूमिका निभाकर काफी प्रशंसा हासिल की।

हालाँकि अब वह यहां बाज़ार में पान की दुकान और अन्य सामानों की दुकान के माध्यम से अपना जीवन यापन करता है। पान की दुकान पर मधुमक्खियों के झुंड के झुंड उड़ते देख यहां आयोजित होने वाले पिछले राज उत्सव के बाद से उनकी यह दुकान स्थानीय लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गई है और बड़ी संख्या में लोग यह दुकान देखने आने लगे। हीरा के अनुसार, राज उत्सव के दौरान वह विशेष मीठा पान बेचते थे। इस साल मीठे पान मसाला, चेरी और तले हुए नारियल की खुशबू ने मधुमक्खियों को उनकी पान की दुकान की ओर आकर्षित किया। जब मधुमक्खियों का झुंड पहली बार उनकी पान की दुकान पर आया तो ग्राहकों के साथ-साथ वह भी घबरा गए और मधुमक्खियों द्वारा काटे जाने के डर से घबरा गए। लेकिन हीरा को आश्चर्य हुआ जब मधुमक्खियों का एक झुंड चेरी और अन्य सुगंधित मीठे पान मसाले पर आकर बैठ गया।

यह सुनिश्चित होने के बाद की मधुमक्खियाँ उन पर और ग्राहकों पर हमला नहीं कर रही हैं, हीरा ने उन्हें चेरी और अन्य मीठा पान मसाला देना शुरू कर दिया। तब से उन्हें आश्चर्य हुआ कि मधुमक्खियाँ उनके ग्राहकों की तरह ही उनकी पान की दुकान पर नियमित रूप से आने लगी। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं अपनी दुकान खोलता हूं, मधुमक्खियों के बड़े बड़े झुंड दुकान पर आ जाते है। और मैं कीटों चेरी और अन्य मीठे सुगंधित पान मसाला और पान खिलाता हूं।’’

हीरा अपनी पान की दुकान पर मंडराती हजारों मधुमक्खियों को खाना खिलाने के लिए हर दिन लगभग 150 रुपये खर्च करता है। उन्होंने कहा , ‘‘मुङो नहीं पता कि मधुमक्खियाँ कहाँ से आ रही हैं। मुङो लगता है कि वे स्थानीय हैं। हीरा ने कहा, चूंकि मधुमक्खियों के साथ मेरा भावनात्मक लगाव हो गया है, इसलिए मुङो अपनी पान की दुकान में मधुमक्खियों के झुंड के बीच काम करना बहुत अच्छा लगता है। हीरा ने कहा, पहले ग्राहक हर जगह मधुमक्खियों के झुंड के कारण उनकी दुकान पर आने से डरते थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि मधुमक्खियां काट नहीं रही हैं, तो वे बिना किसी डर के आने लगे।

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