जानिए कैसे शरीर वह अंग जो दान देने के बाद फिर से बन जाता है, पहेलियों में उलझे वैज्ञानिक

  मुंबई: हमारा शरीर रहस्यों का पिटारा है, इसके बहुत से ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में हम नहीं जानतें। वैसे तो इंसान के शरीर के कई अंग ऐसे हैं जो चोट लगने या जख्मी होने के कुछ समय बाद फिर से बन जाते हैं, पनप जाते हैं। लेकिन शरीर का एक अंग ऐसा भी.

 

मुंबई: हमारा शरीर रहस्यों का पिटारा है, इसके बहुत से ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में हम नहीं जानतें। वैसे तो इंसान के शरीर के कई अंग ऐसे हैं जो चोट लगने या जख्मी होने के कुछ समय बाद फिर से बन जाते हैं, पनप जाते हैं। लेकिन शरीर का एक अंग ऐसा भी है जो अगर आधा भी दान दिया जाए तो कुछ समय बाद वह फिर से पूरा निर्मित होने में सक्षम है और वह भी बहुत ही तेज गति से बन जाता है। मानव शरीर में खुद के कई हिस्सों के उपचार कर उन्हें फिर से विकसित करने की क्षमता है, लेकिन यह क्षमता सभी अंगों में एक सी नहीं होती है।

शरीर विज्ञान विशेषज्ञों की मानें तो लीवर शरीर का ऐसा अंग है जो बहुत ही जल्दी खुद को पूरा फिर से बना सकता है और तो और यह ऐसा करने पाने वाला इंसानी शरीर का एकमात्र अंग है। जबकि शरीर के अन्य बहुत सारे अंगों में खुद को सुधार पर उसके खराब हुए हिस्सों को सही करने की क्षमता तो है, लेकिन वे खुद ब खुद ही अपने आप को पूरा का पूरा फिर से नहीं बना सकते हैं। लीवर का सबसे खास काम यह होता है कि वह शरीर से जहरीले और गैर जरूरी तत्वों को छानने में बड़ी भूमिका निभाता है और साथ ही पोषक तत्वों को भी जमा करके रखता है।

इस पुनर्निर्माण क्षमता के कारण ही लीवर फिर से अपना पूर्ववत स्वरूप हासिल कर लेता है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि सिरोसिस जैसे विकारो में लीवर क काम करने की क्षमता के साथ ही खुद को सुधारने की क्षमता तक प्रभावित हो जाती है। एक सवाल यह पैदा होता है कि अगर वाकई लीवर में यह क्षमता है कि वह खुद को पूरा का पूरा फिर से बना सकता है तो कई बार इंसान में लीवर ट्रान्सप्लांट या यकृत प्रत्यारोपण की जरूरत ही क्यों पड़ती है। इस बारे में विशेषज्ञों की कहना है कि लीवर ट्रांसप्लांट की वजह के लिए लीवर की क्षमता में कमी नहीं बल्कि दूसरे कारक जिम्मेदार होते हैं जिससे मरीज में लीवर का, लीवर के खास हिस्सा का फिर से बन पाना संभव नहीं रह जाता है।

लीवर से संबंधित रोग से पीड़ित अधिकांश मरीजों में सर्जन लीवर में सर्जरी कर खराब हुए हिस्से को निकाल देते हैं और फिर शरीर को उसके हाल पर छोड़ देते हैं जिससे वह लीवर का हिस्सा फिर से विकसित कर सके। लेकिन कई बार कुछ कारणों से लीवर के ऊतकों के साथ ऐसा हो नहीं पाता है जिससे ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। जीवित व्यक्ति के लीवर का कुछ हिस्सा निकाल कर पी़ड़ित को प्रत्यारोपि किया जा सकता है। लीवर की खुद को सुधारने या विकसित कर लेने की दर सबसे ज्यादा खास बात होती है।

लीवर कितनी जल्दी खुद को फिर से बना सकता है यह कई कारकों पर निर्भर करता है और इसे अलगअलग तरह से बताया भी जाता है. यदि लीवर का एक हिस्सा हटा है तो गायब या खराब हुआ ऊतक कुछ ही दिन में फिर से बन जाता है, वहीं बढ़ता लीवर अपने आकार से दो गुना चार से छह हफ्तों का समय ले सकता है. लेकिन यदि शराब पीने से लीवर में खराबी हुई है तो शराब छोड़ने के तीन से 12 महीने उसे ठीक होने में लग सकते हैं।

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