नई दिल्ली : दिल्ली के पूर्व CM और आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा झटका लगा है। बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मुकदमा चलाने के लिए परमिशन दे दिया है। इसके बाद, ईडी अब इस मामले की जांच और कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा, जो केजरीवाल और अन्य संदिग्धों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा हुआ है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने आबकारी नीति मामले में AAP प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है: उपराज्यपाल कार्यालय
5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की…
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 21, 2024
ED ने लगाया केजरीवाल पर गंभीर आरोप
AAP ने आरोपों को झूठा और भ्रामक बताया
वहीं आम आदमी पार्टी ने इस मामले को पूरी तरह से झूठा और भ्रामक बताया। पार्टी ने ईडी से उपराज्यपाल द्वारा दिए गए सैंक्शन की कॉपी भी मांगी है ताकि आरोपों का सच सामने आ सके। आम आदमी पार्टी का कहना है कि दो साल की जांच के बावजूद अब तक इस मामले में एक भी रुपया बरामद नहीं हुआ है। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस महीने की शुरुआत में यानी 5 दिसंबर को उपराज्यपाल से अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगी थी। ईडी का दावा था कि उसे आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में भारी भ्रष्टाचार का पता चला है।
आम आदमी पार्टी का पलटवार
हालांकि, आम आदमी पार्टी ने ईडी के आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि दो साल की जांच में 500 लोगों को परेशान किया गया, 50,000 पन्नों के दस्तावेजों की जांच की गई और 250 से ज्यादा छापे मारे गए, लेकिन एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा का असली उद्देश्य अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को कुचलना है।
आगे क्या होगा ?
अब यह मामला और आगे बढ़ेगा और अदालत में इसकी सुनवाई होगी। आम आदमी पार्टी ने इस पूरे आरोप को साजिश बताते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। दिल्ली की राजनीति में यह मामला महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है। ईडी की जांच और उपराज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी से अरविंद केजरीवाल के लिए आगे की राह कठिन हो सकती है, जबकि आम आदमी पार्टी इस आरोप को पूरी तरह से नकारते हुए इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई मान रही है।