One Nation One Election Bill, नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र में एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ‘एक देश एक चुनाव’ से जुड़ा विधेयक मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल इस विधेयक को पेश करेंगे। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक को पेश करने के लिए सरकार के पास अब केवल चार दिन का समय बचा है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ क्या है?
बता दें कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का मतलब है कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। यह मोदी सरकार के अहम चुनावी वादों में से एक है। पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह इस पर फैसला किया था। अभी तक इस योजना में स्थानीय निकाय चुनावों के तरीके पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। संवैधानिक बदलाव के लिए विधेयक पेश होगा। सूत्रों के मुताबिक, संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद में पेश किया जाएगा।इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भी भेजा जा सकता है।
20 दिसंबर को समाप्त हो रहा शीतकालीन सत्र
इस विधेयक के जरिए लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एक साथ कराने का कानूनी आधार तैयार किया जाएगा। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक को पेश करने के लिए सरकार के पास अब केवल चार दिन का समय बचा है। सरकार ने विधेयक की प्रतियां सांसदों को पहले ही बांट दी हैं ताकि वे इसका अध्ययन कर सकें।
विपक्षी दलों ने जताई चिंता
विपक्षी दलों ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। विपक्षी पार्टियां, जैसे डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, और अन्य दल मानते हैं कि इससे देश के संघीय ढांचे पर खतरा आ सकता है। उनका कहना है कि इससे क्षेत्रीय दल कमजोर हो सकते हैं और सत्ता केंद्रीकरण हो सकता है।
सत्ता पक्ष का तर्क:
दरअसल, सरकार का कहना है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का कदम लागत प्रभावी, प्रशासनिक दृष्टिकोण से बेहतर और समय की जरूरत है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अब इस विधेयक को लेकर घमासान राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। विपक्ष जहां इसे देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा मानता है, वहीं सरकार इसे लोकतंत्र और प्रशासनिक सुधारों के लिहाज से जरूरी मानती है। अब देखना होगा कि संसद में यह विधेयक किस तरह से पेश होता है और इसका राजनीतिक भविष्य क्या होगा।