Chirag Paswan : लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने वन नेशन, वन इलेक्शन को देश की जरूरत बताते हुए कहा कि इसकी चाहत हमलोगों की लंबे समय से थी। उन्होंने विपक्ष के विरोध करने पर कहा कि विपक्ष को हर एक फैसले से ऐतराज है। शनिवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे नेता और मेरे पिता रामविलास पासवान की भी यही सोच रही थी कि देश में एक साथ चुनाव हो। उन्होंने कहा, कि ‘अभी हम लोगों ने देखा कुछ महीने पहले ही लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए, उसके ठीक बाद हरियाणा, जम्मू कश्मीर के चुनाव में लोग व्यस्त हुए। उसके बाद झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव हुए। इसके बाद दिल्ली और उसके बाद बिहार और फिर असम का चुनाव है। हर दूसरे और तीसरे महीने देश के किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं। यह न सिर्फ आर्थिक बोझ देश के ऊपर डालने का काम करते हैं, बल्कि जिस तरीके से मशीनरी के डिप्लॉयमेंट को लेकर एक व्यवस्था तैयार करने की जरूरत पड़ती है, उसमें भी समय बहुत ज्यादा बर्बाद होता है।
इस स्थिति में जब आचार संहिता लगती है तो विकास की गति कहीं ना कहीं रूकती है। इस कारण देश में एक ही बार चुनाव हों और पांच साल तक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे।‘ उन्होंने कहा, कि ‘विपक्ष को हर एक उस फैसले पर ऐतराज है, जो पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा लिया जाता है। मैं चाहता हूं कि विपक्ष इसकी मेरिट पर चर्चा करे, बताएं क्या एतराज है? क्यों यह सही नहीं है? एक तरफ जो उन लोगों की बातें हैं, जो छोटे दल हैं, एक साथ चुनाव में उनको दिक्कत होगी। आज की तारीख में देश की जनता इतनी समझदार है कि दो राज्यों में चुनाव के संघीय ढांचे को समझती है।
लोकसभा के साथ जिन राज्यों में चुनाव हुए उसके परिणाम अलग हुए हैं। आंध्र प्रदेश इसका उदाहरण है। जहां लोकसभा के परिणाम कुछ थे और विधानसभा के परिणाम कुछ और। यह दर्शाता है कि देश की जनता इस बात को अच्छे से जानती है कि भारत के संघीय ढांचे में किस तरीके से मतदान करना है।‘ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इसके लिए संभव हो तो हमारी सरकार एक कमेटी का गठन करेगी। हम लोग जेपीसी का भी गठन करेंगे। विपक्ष वहां पर मेरिट के ऊपर इसकी चर्चा करें।
उन्होंने लालू यादव के आंख सेंकने वाले बयान पर कहा कि इससे अशोभनीय और अभद्र टिप्पणी कुछ नहीं हो सकती। इतनी गिरी हुई टिप्पणी करना कतई जायज नहीं है। वे खुद इतने अनुभवी नेता हैं और उनके मुंह से इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती। जिस तरीके से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यात्र पर निकल रहे हैं, उसका लाभ 2025 के बिहार चुनाव में जरूर होगा।
पत्रकारों के संविधान के मुद्दे पर चर्चा को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर मंत्री चिराग पासवान ने तंज कसते हुए कहा, ‘जो लोग संविधान को पॉकेट में लेकर घूमने का काम करते हैं, वह कभी समझेंगे ही नहीं कि संवैधानिक मर्यादा क्या होती है। जिन लोगों ने संवैधानिक पदों पर बैठे हुए लोगों को राजनीति से अछूता नहीं रखा, उनके ऊपर भी टीका-टिप्पणी करने का काम किया, वह कभी संवैधानिक मर्यादा को नहीं समझ पाएंगे।‘
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के लेटरल एंट्री और प्राइवेटाइजेशन के जरिए आरक्षण को खत्म करने के आरोप पर उन्होंने कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि लेटरल एंट्री की शुरुआत किसने की थी। लेटरल एंट्री की शुरुआत विपक्षी दलों के सरकारों ने की थी।