नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका में स्नेत पर कर कटौती (टीडीएस) प्रणाली को रद्द करने की अपील की गई। याचिका में टीडीएस को ‘‘मनमाना व तर्कहीन’’ और समानता सहित विभिन्न मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला करार दिया गया है।
जनहित याचिका (पीआईएल) में आयकर अधिनियम के तहत स्नेत पर कर कटौती या टीडीएस ढांचे को चुनौती दी गई है, जिसके तहत भुगतानकर्ता द्वारा भुगतान के समय कर की कटौती और आयकर विभाग में इसे जमा करना अनिवार्य है। काटी गई राशि को भुगतानकर्ता की कर देयता के विरुद्ध समायोजित किया जाता है।
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका अधिवक्ता अश्विनी दुबे के जरिये न्यायालय में दायर की है। याचिका में केंद्र, विधि एवं न्याय मंत्रलय, विधि आयोग और नीति आयोग को पक्ष बनाया गया है। याचिका में टीडीएस प्रणाली को ‘‘ मनमाना, तर्कहीन तथा संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (व्यवसाय करने का अधिकार) और 21 (जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के विरुद्ध बताया गया है।
न्यायालय से टीडीएस प्रणाली को समाप्त करने का निर्देश देने की अपील की गई है। इसमें उच्चतम न्यायालय से नीति आयोग को याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार करने तथा टीडीएस प्रणाली में आवशय़क बदलाव का सुझाव देने का निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।