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Chaitra Navratri 2025 Day 8 : चैत्र नवरात्रि के आठवा दिन…इस विधि से करें मां महागौरी की पूजा

Chaitra Navratri 2025 Day 8: आज चैत्र नवरात्रि का आठवा दिन है। नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के मां दुर्गा के छठे स्वरूप, मां महागौरी की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 4 अप्रैल 2025 को रात्रि 8:11 बजे हुआ। यह तिथि.

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Chaitra Navratri 2025 Day 8: आज चैत्र नवरात्रि का आठवा दिन है। नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के मां दुर्गा के छठे स्वरूप, मां महागौरी की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 4 अप्रैल 2025 को रात्रि 8:11 बजे हुआ। यह तिथि 5 अप्रैल 2025 को शाम 7:25 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदय तिथि के अनुसार अष्टमी 5 अप्रैल 2025 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। इसे महाअष्टमी भी कहते हैं। मां का स्वरूप अत्यंत शांत और पवित्र है। माता महागौरी की चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो बरा मुद्रा और दो आशीर्वाद मुद्रा में हैं। अन्य दो हाथों में माता त्रिशूल और डमरू धारण किये हुए हैं। मां महागौरी बैल की सवारी करती हैं। मान्यताओं के अनुसार चैत नवरात्रि के आठवें दिन सच्चे मन से देवी महागौरी की पूजा करने से भक्तों को शांति, खुशी और मानसिक शुद्धता मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि…

मां महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां महागौरी का भोग और शुभ रंग
देवी महागौरी को नारियल, पूरी, चना और हलवा का भोग लगाना शुभ माना जाता है। मां महागौरी को सफेद रंग बहुत प्रिय है। लेकिन माता की पूजा के दौरान गुलाबी रंग की साड़ी या कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

मां महागौरी की पूजा विधि

भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
मंदिर को गंगा जल से शुद्ध करें और पूजा स्थल पर देवी महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
माता को रोली, अक्षत, धूप और पीले फूल अर्पित करें।
इसके बाद मां महागौरी को भोग लगाएं।
मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें।
अंत में मां की आरती करें और मां का प्रसाद परिवार के सदस्यों में बांटें।

मां महागौरी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे उन्हें महान महिमा और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। हालाँकि, कठोर तपस्या के कारण देवी का रंग काला हो गया।

भगवान शिव देवी की तपस्या से प्रसन्न हुए और उसे स्वीकार कर लिया तथा उन्हें गंगा में स्नान करने को कहा। गंगा में स्नान करने के बाद देवी का रूप बिजली की तरह चमकीला हो गया और उनका रंग सफेद हो गया। इसीलिए उसे गौरी कहा जाता है।

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