जानिए कब नहीं तोड़ने चाहिए तुलसी के पत्ते

विष्णु पुराण में तुलसी के महत्व की व्याख्या की गई है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जिससे घर में वास्तु दोष नहीं होता। यहां तक कि इससे बुरी नज़र से भी बचा जा सकता है। संभवत: यही कारण है कि हर घर में तुलसी का पौधा लगाया जाता है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जिससे.

विष्णु पुराण में तुलसी के महत्व की व्याख्या की गई है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जिससे घर में वास्तु दोष नहीं होता। यहां तक कि इससे बुरी नज़र से भी बचा जा सकता है। संभवत: यही कारण है कि हर घर में तुलसी का पौधा लगाया जाता है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जिससे 24 घंटे आक्सीजन पैदा होती है। तुलसी का पूजन करने का विधान है। इस तरह तुलसी के पौधे की देखभाल के लिए कुछ परम्पराओं का पालन करना पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि कौनसी हैं वे परम्पराएं? आओ इन नियमों के बारे में जानें। विष्णु पुराण के अनुसार रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रांति, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण तथा संध्या काल में तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।

मान्यता यह भी है कि क्योंकि तुलसी मां एकादशी का व्रत करती हैं अत: उन्हें तोड़कर परेशान नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में गरीबी का वास होता है। इसी तरह क्योंकि रविवार विष्णु का प्रिय वार है अत: ऐसे में लक्ष्मी के रूप में तुलसी को इस दिन तोड़ना लक्ष्मी के अपमान के तुल्य है। क्रूर वार होने के कारण मंगलवार को भी तुलसी नहीं तोड़ते। यह भी परम्परा है कि तुलसी को स्नान करने के बिना नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि बिना स्नान के तोड़े तुलसी को भगवान भी स्वीकार नहीं करते। कहा जाता है कि तुलसी के पत्तों को 11 दिन तक बासी नहीं माना जाता। इसकी पत्तियों पर जल छिड़क कर भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

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