हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 24 जनवरी 2024

टोडी महला ५ ॥ हरि बिसरत सदा खुआरी ॥ ता कउ धोखा कहा बिआपै जा कउ ओट तुहारी ॥ रहाउ ॥ बिनु सिमरन जो जीवनु बलना सरप जैसे अरजारी ॥ नव खंडन को राजु कमावै अंति चलैगो हारी ॥१॥ गुण निधान गुण तिन ही गाए जा कउ किरपा धारी ॥ सो सुखीआ धंनु उसु जनमा.

टोडी महला ५ ॥ हरि बिसरत सदा खुआरी ॥ ता कउ धोखा कहा बिआपै जा कउ ओट तुहारी ॥ रहाउ ॥ बिनु सिमरन जो जीवनु बलना सरप जैसे अरजारी ॥ नव खंडन को राजु कमावै अंति चलैगो हारी ॥१॥ गुण निधान गुण तिन ही गाए जा कउ किरपा धारी ॥ सो सुखीआ धंनु उसु जनमा नानक तिसु बलिहारी ॥२॥२॥

अर्थ: हे भाई! परमात्मा (के नाम) को भुलाने से सदा (माया के हाथों मनुष्य की) बेइज्जती ही होती है। हे प्रभू! जिस मनुष्य को तेरा आसरा हो, उसको (माया के किसी भी विकार से) धोखा नहीं लग सकता। रहाउ।हे भाई! परमात्मा के नाम-सिमरन के बिना जितनी भी जिंदगी गुजारनी है (वो ऐसे होती है) जैसे साँप (अपनी) उम्र गुजारता है (उम्र चाहे लंबी होती है, पर वह सदा अपने अंदर जहर पैदा करता रहता है)।

(सिमरन से वंचित रहने वाला मनुष्य अगर) सारी धरती का राज भी करता रहे, तो भी आखिर मानस जीवन की बाजी हार के ही जाता है।1। गुरु नानक जी कहते हैं, हे नानक! (कह– हे भाई!) गुणों के खजाने हरी के गुण उस मनुष्य ने ही गाए हैं जिस पर हरी ने मेहर की है। वह मनुष्य सदा सुखी जीवन व्यतीत करता है, उसकी जिंदगी सदा मुबारिक होती है। ऐसे मनुष्य से कुर्बान होना चाहिए।2।2।

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