चीन में हाल के कुछ वर्षों से पर्यावरण संरक्षण और कम कार्बन को लेकर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। चीन की केंद्र सरकार व संबंधित विभाग इस बारे में गंभीरता से काम कर रहे हैं। चीन के तमाम इलाकों में हरे-भरे क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है। राजधानी पेइचिंग में हमने देखा है कि नए-नए पार्क और हरित इलाके विकसित किए जा रहे हैं। जबकि पेइचिंग से सटे हपेई प्रांत के साईहान्पा कृत्रिम वन क्षेत्र का कायाकल्प चीन द्वारा किया जा चुका है। यह क्षेत्र पहले रेगिस्तान था, लेकिन चीन सरकार व स्थानीय विभागों की कड़ी मेहनत से यह एक हरा-भरा जंगल बन गया है।
साईहान्पा जैसे कई इलाके हैं, जहां चीन ने उदाहरण स्थापित किए हैं। इसके साथ ही चीन के शहरों में कम कार्बन व हरित क्षेत्र स्थापित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत नए-नए पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। जो कि पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने में अहम योगदान दे रहे हैं। वृक्षारोपण और हरियाली के कारण शहरी नागरिक स्वच्छ हवा में सांस ले पा रहे हैं।
ध्यान रहे कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग बार-बार जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए सभी देशों से एकजुट होने का आह्वान करते हैं। इसके अलावा भी वह समय-समय पर प्राकृतिक संरक्षण से जुड़े स्थलों का दौरा करते हैं।
जाहिर है कि चीन सरकार कम कार्बन और पर्यावरण संरक्षण को काफी तवज्जो देती है। इसके लिए समय-समय पर वित्तीय सहायता भी दी जाती है। इस बीच चीन के संबंधित विभागों ने हरित और कम-कार्बन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता को मजबूत करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
बताया जाता है कि चीनी जन बैंक सहित कई सरकारी विभागों द्वारा संयुक्त रूप से दस्तावेज जारी किए गए हैं। जिसमें जोर देकर कहा गया है कि चीन आगामी पांच वर्षों में हरित विकास के लिए एक विश्व-अग्रणी वित्तीय सहायता प्रणाली का निर्माण करेगा। इसके अलावा नीतियों को अधिक समन्वित, प्रभावी और परिपक्व बनाने पर ध्यान देगा।
चीन द्वारा किए जा रहे उपायों से पता चलता है कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है, क्योंकि आज के दौर में जलवायु परिवर्तन आदि चुनौतियों के समक्ष गंभीर रूप से उपाय करने की जरूरत है। जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन के प्रयासों के बिना संभव नहीं है।
कहा जा रहा है कि चीन वित्तीय संस्थानों के लिए एकीकृत कार्बन लेखांकन मानक तैयार करेगा। जबकि पर्यावरणीय जानकारी के लिए संस्थानों और वित्तपोषण संस्थाओं को बढ़ावा देगा।
पिछले कुछ वर्षों से चीन में हरित व नवीन ऊर्जा उद्योगों को काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह बैटरी चालित (इलेक्ट्रिक) कारों के बढ़ते चलन से भी पता चलता है। चीन विश्व का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार बाज़ार बन चुका है, आने वाले समय में इसके और विस्तार करने की व्यापक संभावना है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण की स्थिति मजबूत हो रही है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।
चीन में हो रही इस हरित क्रांति से वैश्विक स्तर पर असर देखने को मिलेगा, क्योंकि पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना पूरे विश्व की जिम्मेदारी है। जिसमें चीन अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)