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चीन ने रचा इतिहास, व्यापार फायदा लगभग एक खरब डॉलर

विदेश : बीते साल यानी 2024 में चीन का विदेशी व्यापार लाभ एक खरब डॉलर रहा। इसकी घोषणा खुद चीन सरकार ने बीते सोमवार यानी 13 जनवरी को की। कारोबारी जगत में चीन ने यह उपलब्धि अपने वैश्विक निर्यात के जरिए हासिल की है। चीन के निर्यात ने इन दिनों दुनिया भर में धूम मचा.

विदेश : बीते साल यानी 2024 में चीन का विदेशी व्यापार लाभ एक खरब डॉलर रहा। इसकी घोषणा खुद चीन सरकार ने बीते सोमवार यानी 13 जनवरी को की। कारोबारी जगत में चीन ने यह उपलब्धि अपने वैश्विक निर्यात के जरिए हासिल की है। चीन के निर्यात ने इन दिनों दुनिया भर में धूम मचा रखी है। चीन का यह व्यापार अधिशेष पिछली सदी में दुनिया के किसी भी देश के व्यापार अधिशेष से कहीं ज्यादा रहा। अब तक इस लिहाज से दुनिया में जर्मनी, जापान और अमेरिका का रहा है। लेकिन अब चीन इसे भी पार कर गया है। इस लिहाज से कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में अमेरिकी व्यापारिक वर्चस्व को चीन से चुनौती मिलने जा रही है। 

दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप और अमेरिका का वैश्विक कारोबारी जगत पर कब्जा रहा है। यह पहला मौका है, जब चीन के कारखानों ने इतने माल का उत्पादन किया कि उससे वैश्विक बाजार पट गया। चीन की इस कामयाबी से उन देशों को सीख लेनी चाहिए, जो आर्थिक मोर्चे पर कुछ कर गुजरने की चाहत रखते हैं। चीन ने यह उपलब्धि अपने मानव श्रम को कुशल बनाकर अपने तकनीकी रूप से बेहतर कारखानों के जरिए हासिल किया है।चीन की इस तेजी को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर टैरिफ बढ़ाए भी जा सकते हैं।  अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप चीन के उत्पादनों पर ज्यादा टैरिफ लगाने की बात लगातार कर ही रहे हैं। ऐसे में वैश्विक स्तर पर व्यापारिक युद्ध की आशंका भी बलवती होती जा रही है। 

बहरहाल कारोबार को लेकर चीन के सामान्य सीमा शुल्क प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों पर हमें ध्यान देना चाहिए। इस प्रशासन के मुताबिक, चीन ने पिछले साल 3.6 खरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं और सेवा का निर्यात किया, जबकि 2.6 खरब डॉलर का आयात किया।  इस तरह से उसने 990 अरब डॉलर का कारोबारी फायदा हासिल किया है। यहां ध्यान देने की बात है कि चीन को साल 2022 में यह फायदा 838 अरब डॉलर रहा था। अकेले दिसंबर में ही करीब 104.8 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है। अकेले दिसंबर में ही चीन का निर्यात दस प्रतिशत से ज्यादा दर से बढ़ा।

चीन ने जो उपलब्धि हासिल की है, वैसी उपलब्धि दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने जो उपलब्धि हासिल की थी, उससे भी ज्यादा है। तब दूसरे विश्व युद्ध के चलते पूरे यूरोप में उत्पादन ठप हो गया था। तब अमेरिका में छह फीसद की दर से उत्पादन बढ़ा। लेकिन चीन ने बीते वर्ष के आखिरी महीने में दस प्रतिशत की दर से उत्पादन बढ़ाया है। चाहे की नई अर्थव्यवस्था हो या पुरानी, सभी देशों की एक ही ख्वाहिश होती है कि वे व्यापारिक लाभ हासिल करें। कारोबारी मुनाफे का मतलब है, अपने इंजीनियरों, तकनीशियनों और कारीगरों समेत तमाम लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक लाभ की नई राह खोजना। चीन का यह फायदा इसलिए भी बढ़ रहा है, क्योंकि चीन में आयात लगातार घट रहा है। जाहिर है कि चीन अपनी जरूरत वाली ज्यादातर चीजों का खुद उत्पादन कर रहा है।

चीन ने अपनी आत्मनिर्भरता के लिए साल मेड इन चाइना 2025 की नीति लागू कर रखी है, जिसके उत्पादन बढ़ाने के लिए 300 अरब डॉलर खर्च किए गए थे। इसका असर यह हुआ कि कई देशों की फैक्टरियों पर ताला लग रहे हैं। चीनी बैटरी आधारित कारों पर यूरोप और अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाना दरअसल उन देशों के अपने माल की खपत बढ़ाना और चीनी आयात को उन देशों में हतोत्साहित करना है। दिलचस्प यह है कि टैरिफ लगाने वाले देश औद्योगिक क्रांति के सिरमौर हैं। 

चीन की निर्यात बढ़ती निर्यात दर से दुनिया का हैरत में पड़ना स्वाभाविक है। चीन का निर्यात सालाना 12 फीसद से कुछ ज्यादा की ही दर से बढ़ रहा है। इस बीच डॉलर की कीमत कम से कम चीनी मुद्रा के लिहाज से कमजोर भी हुई है। इसलिए चीन की स्थिति जहां बेहतर हुई है, वहीं औद्योगिक देश चिंतित हैं। लेकिन चीन की कामयाबी वैश्विक स्तर पर शोर मचा रही है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)  (लेखक— उमेश चतुर्वेदी)

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