यह सच है कि अमेरिका के पास सबसे मजबूत तकनीकी नवाचार क्षमताएं हैं, लेकिन नए तकनीकी स्वरूपों का अधिकांश व्यावसायीकरण चीनी कंपनियों के द्वारा पूरा किया जाता है। इस मॉडल के तहत, अमेरिकी कंपनियों को अपने आगे के नवाचार का समर्थन करने के लिए भारी मुनाफा मिलता है, चीनी कंपनियों को तकनीकी प्रगतियां भी मिलती हैं, और चीन और अमेरिका दो नवाचार केंद्रों के बीच सहयोग पूरी दुनिया को कम लागत वाले नवाचार परिणामों का आनंद लेने में सक्षम बनाता है। अमेरिका की मजबूत नवाचार क्षमता को कोई नकार नहीं सकता है। जब अन्य देश विशिष्ट उत्पाद उत्पादन से ग्रस्त हैं, अमेरिका पहले से ही नई अवधारणाओं और प्रणालियों का निर्माण कर रहा है। लेकिन अमेरिका का नवाचार अक्सर कॉलेजों और अनुसंधान संस्थानों के स्तर पर रहता है। एक मजबूत औद्योगिक श्रृंखला, आपूर्ति श्रृंखला और पेशेवर टीम के बिना, किसी भी उन्नत तकनीक को ब्लूप्रिंट से वास्तविकता में नहीं बदला जा सकता है। उधर, वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों को लागू करने में चीन की क्षमता साबित है।
उदाहरण के लिए, “वैक्यूम ट्यूब ट्रांसपोर्ट” हाइपरलूप सिस्टम मूल रूप से अमेरिकी इंजीनियर डेरिल ओस्टर का एक विचार था, लेकिन कोई भी अमेरिकी कंपनी उसके पेटेंट को वास्तविकता में बदलने की क्षमता नहीं रखती है। हाल ही में, सुपरकंडक्टिंग मैग्नेटिक लेविटेशन और वैक्यूम पाइपलाइन तकनीक का उपयोग करने वाली चीन की अल्ट्रा-हाई-स्पीड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम ने परीक्षण पूरा कर लिया है। 4,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाली सुपर-ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की इस नई पीढ़ी को पहले चीन में बड़े पैमाने पर एप्लिकेशन में डाला जाएगा। उदाहरण के लिए, चैटजीपीटी अभी अमेरिका में उत्पन्न हुआ है, और चीनी कंपनियों ने इससे संबंधित नए बिजनेस मॉडल को तैनात करना शुरू कर दिया है। एआई प्रौद्योगिकी का प्रकोप उत्पादकता के विकास को बहुत बढ़ावा देगा, और तकनीकी क्रांति का नया दौर अभी भी दो नायक, चीन और अमेरिका के सहयोग से अविभाज्य रहेगा।
तथ्यों ने साबित कर दिया है कि चीन-अमेरिका सहयोग दुनिया के लिए फायदेमंद है। लेकिन अमेरिका को डर है कि चीन तकनीक में खुद को पार कर लेगा और चीन की उच्च तकनीक को दबाने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। इस के जवाब में, चीन ने खुलेपन के दरवाजे बंद किये बिना, अपनी नवाचार अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देने के लिए उच्च स्तर के खुलेपन पर जोर दिया। वर्तमान में, चीन डिजिटल अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास कर रहा है, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ा रहा है, और बाजार प्रतिस्पर्धा तंत्र में सुधार कर रहा है। पिछले कई वर्षों में महामारी और व्यापार संरक्षणवाद की चुनौतियों के कारण वैश्विक औद्योगिक श्रृंखला की स्थिरता प्रभावित हुई है। अमेरिका ने चीन से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के “डिकूपिंग” को बढ़ावा देने के प्रयास में कुछ उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में चीन के खिलाफ प्रतिबंधात्मक उपाय शुरू किए हैं।
महामारी से पहले ही चीन दुनिया का सबसे बड़ा औद्योगिक उत्पादन केंद्र बन चुका था और अब यह स्थिति कमजोर नहीं हुई है, बल्कि मजबूत हुई है। नया उत्पाद निर्माण केंद्र बनाने के लिए चीन से खुद को अलग करने के अमेरिकी प्रयास व्यर्थ हैं। क्योंकि भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की स्थिति की परवाह किए बिना, चीन ने हमेशा बाहरी दुनिया के लिए खुलापन बनाए रखा है। उधर, हरित विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में जो सभी मानव जाति की नियति से संबंधित हैं, चीन और अमेरिका के पास अभी भी पूर्ण सहयोग का आधार है। चीन में उच्च शिक्षा प्राप्त होने वाले लोगों की संख्या 200 मिलियन से अधिक रहती है, इसके बाद भारत और अमेरिका हैं, जिनमें भी 100 मिलियन से अधिक लोग हैं।उच्च शिक्षा प्राप्त होने वाली आबादी बड़े देशों के लिए नवाचार की नींव है, और दुनिया का भविष्य इन देशों का होना होगा।
चीन का एक और फायदा है बड़े पैमाने वाली अर्थव्यवस्था है। पैमाने की अर्थव्यवस्था जितनी बड़ी होगी, इकाई लागत उतनी ही कम होगी। चीन उत्पादों की कम कीमत क्यों बनाए रख सकता है इसका कारण यह है कि चीन दुनिया में सबसे बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्था है, और चीन सार्वजनिक सेवाओं की लागत को बेहतर ढंग से साझा कर सकता है, यह उत्पादन करते समय सबसे कम लागत को प्राप्त कर सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिस्पर्धा में चीन का फायदा है। उधर, वैश्वीकरण के युग में, छोटी अर्थव्यवस्थाएं श्रम के वैश्विक विभाजन में भाग लेकर बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठा सकती हैं। इसलिए छोटी अर्थव्यवस्थाएं बड़े वैश्विक बाजार को छोड़ने में और भी अधिक असमर्थ हैं। इस दृष्टिकोण से वैश्वीकरण विरोधी प्रवृत्ति सभी देशों के लिए हानिकारक है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)