दक्षिण चीन की यात्रा में दिवंगत नेता तंग श्याओफिंग की वार्ता का दीर्घकालीन महत्व

18 जनवरी से 21 फ़रवरी 1992 तक चीन के दिवंगत नेता तंग श्याओफिंग ने वुछांग, शेनचेन, चूहाई और शांगहाई आदि शहरों का दौरा किया। उस समय उन्होंने प्रसिद्ध “दक्षिणी टॉक” जारी किया। हालांकि इस वार्ता को जारी करने के बाद तीस से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक इसका महत्व क़ायम है। दक्षिणी.

18 जनवरी से 21 फ़रवरी 1992 तक चीन के दिवंगत नेता तंग श्याओफिंग ने वुछांग, शेनचेन, चूहाई और शांगहाई आदि शहरों का दौरा किया। उस समय उन्होंने प्रसिद्ध “दक्षिणी टॉक” जारी किया। हालांकि इस वार्ता को जारी करने के बाद तीस से अधिक वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक इसका महत्व क़ायम है।

दक्षिणी टॉक चीन में सुधार व खुलेपन और आधुनिकीकरण को एक नये चरण में बढ़ाने का एक घोषणापत्र है। उसकी न केवल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 14वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण मार्गदर्शक भूमिका है, बल्कि चीन के संपूर्ण समाजवादी आधुनिकीकरण अभियान के लिए भी महान और दूरगामी महत्व है। इस टॉक का मुख्य प्रभाव समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की दिशा को इंगित करना है।

गौरतलब है कि दक्षिणी टॉक में बहुत सारा स्टेटक्राफ्ट हैं। उदाहरण के लिये क्रांति उत्पादक शक्तियों को मुक्त करती है, और सुधार भी उत्पादक शक्तियों को मुक्त करता है। सुधार और खुलपन के लिए साहसपूर्वक प्रयास किया जाना चाहिए। जो सही है उस पर डटे रहो, जो गलत है उसे जल्दी से सुधार करो। समाजवाद का सार उत्पादक शक्तियों को मुक्त करना, उत्पादक शक्तियों को विकसित करना, शोषण को खत्म करना, ध्रुवीकरण को खत्म करना और अंततः व्यापक समृद्धि प्राप्त करना है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्राथमिक उत्पादक बल हैं। तेजी से आर्थिक विकास प्रौद्योगिकी और शिक्षा पर निर्भर होना चाहिए। चीन विश्व शांति की रक्षा के लिये एक दृढ़ शक्ति है। और चीन आधिपत्यवाद का विरोध करता है।

यह कहा जा सकता है कि दक्षिणी टॉक ने चीन के सुधार और खुलेपन में एक नया अध्याय खोला, और इसमें सैद्धांतिक सार न केवल उस समय, बल्कि अब और भविष्य में भी मजबूत व्यावहारिक और मार्गदर्शक महत्व रखता है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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