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ट्रंप ने पूरी दुनिया को व्यापार युद्ध की आग में झोंका, गरीबों पर पड़ेगी मार- भारतीय जानकार

अमेरिका ने चीन वियतनाम मैक्सिको और भारत सहित तमाम देशों के खिलाफ़ भारी टैरिफ लगाकर वैश्विक संकट खड़ा कर दिया है। तीसरी दुनिया के देशों के साथ हो रहे भेदभाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मनमानी पर उतर आए हैं। इस बारे में सीजीटीएन संवाददाता अनिल पांडेय ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार और दिल्ली.

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अमेरिका ने चीन वियतनाम मैक्सिको और भारत सहित तमाम देशों के खिलाफ़ भारी टैरिफ लगाकर वैश्विक संकट खड़ा कर दिया है। तीसरी दुनिया के देशों के साथ हो रहे भेदभाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मनमानी पर उतर आए हैं। इस बारे में सीजीटीएन संवाददाता अनिल पांडेय ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. सुधीर सिंह के साथ विस्तार से चर्चा की। 

डॉ. सिंह के मुताबिक, ट्रंप ने जो टैरिफ युद्ध छेड़ा है, यह उनकी नीति है, चुनावों के दौरान भी उन्होंने इस पर बात की थी। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था नियमों के हिसाब से चलनी चाहिए। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियम और मापदंड हैं, उनका पालन होना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। पूरी दुनिया को वह आर्थिक मंदी के दौर में धकेल रहे हैं। चीन और भारत को इसका संयुक्त रूप से मुकाबला करना चाहिए। 

डॉ. सिंह ने कहा कि चीन और भारत के रिश्ते बहुत महत्वपूर्ण हैं, अगर ये दोनों राष्ट्र मिलकर आगे नहीं बढ़ते हैं तो पश्चिमी दुनिया का वर्चस्व बढ़ता ही जाएगा। क्योंकि पश्चिम अब मनमानी करने पर उतर आया है। ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने व्यापार युद्ध की आग में पूरी दुनिया और मानवता को झोंकने का काम किया है। अभी कुछ वक्त पहले ही हम कोरोना संकट से बाहर निकले हैं, यूक्रेन-रूस युद्ध जारी है। वैश्विक स्तर पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतें काफी बढ़ी हुईं हैं, ट्रेड वॉर से इसमें और इजाफा होगा। दुनिया में करोड़ों लोग गरीबी रेखा की सीमा पर हैं, उनको इससे बड़ी परेशानी होगी। इसलिए भारत और चीन को इन सब चुनौतियों और भेदभाव से लड़ने के लिए एक साथ आने की जरूरत है, तभी दक्षिण के देश एकजुट होंगे। क्योंकि दक्षिण के देश अलग-अलग होकर अमेरिका से लड़ने की स्थिति बिल्कुल नहीं हैं। 

डॉ. सुधीर सिंह ने आगे कहा कि हाल के दिनों में चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय राष्ट्रपति को टैरिफ आदि को लेकर एक पत्र भी लिखा है। वहीं, भारत स्थित चीनी राजदूत ने प्रमुख अखबार द हिंदूमें एक लेख प्रकाशित कर भारत से इस मामले पर एकजुट होने का आग्रह किया है। ऐसे में दोनों देशों को इस तरह के संकटों का साथ मिलकर सामना करना चाहिए। क्योंकि इस व्यापार युद्ध से दुनिया के कमजोर लोग और अधिक कमज़ोर होंगे, उनकी आय कम हो जाएगी। साथ ही, दुनिया की वैश्विक व्यवस्था में गरीब देश और कमजोर होंगे। 

इसके साथ, ही डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि यह एशिया की सदी है, इसके मद्देनजर चीन और भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस सदी को साकार किया जाए। जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान में पश्चिम का वर्चस्व है और अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। और दुनिया में उसकी तूती बोलती है। अगर प्रभावी ढंग से अमेरिका का मुकाबला करना है, और दक्षिण के देशों के सहयोग के मंच पर लाना है तो चीन और भारत को एक साथ आना ही होगा। ऐसा होने पर ही दक्षिण-दक्षिण सहयोग से एक नई विश्व अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सकता है, जो कि न्यायपरक होगी। 

डॉ. सिंह कहते हैं कि चीन और भारत एशिया के बड़े देश होने के साथ-साथ पड़ोसी है, वहीं लगभग एक ही समय आज़ाद हुए। 75 वर्ष बाद देखें तो दोनों देश काफी आगे बढ़ गए हैं। इस दौरान चीन ने काफी प्रगति की है, भारत को चीन को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। जबकि भारत ने भी बहुत क्षेत्रों में प्रगति की है, चीन को भी उससे कुछ सीखना चाहिए। और सबसे बड़ी बात है कि भारत और चीन दोनों तीसरी दुनिया के प्रतिनिधि हैं। तीसरी दुनिया के साथ आज वैश्विक स्तर पर बहुत भेदभाव हो रहा है। चीन और भारत अगर एक साथ चलेंगे तो पश्चिम के देशों के खिलाफ एक मजबूत शक्ति के रूप में सामने आ सकते हैं। जब दोनों राष्ट्र सच्चे अर्थों में सहयोग करेंगे तभी पश्चिम का मुकाबला करने में सक्षम होंगे।

(प्रस्तुति- अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) 

 

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