नई दिल्ली: भारत में करीब 3000 से भी ज्यादा वर्षों से इस जड़ी बूटी का प्रयोग किया जाता है। इसे ‘हृदय की जड़ी बूटी’ या ‘दिल का राजा’ भी कहते हैं। यह हृदय का खास ख्याल रखता है। आयुर्वेद के दो महान आचार्यों चरक और सुश्रुत ने इसका वर्णन किया है, तो वहीं अष्टांग हृदयम में भी इसका उल्लेख है। विदेशों में भी इस पर स्टडी हुई है, जिसके बाद कहा गया कि अजरुन की छाल में एंटी-इस्केमिक, एंटीऑक्सिडैंट, हाइपोलिपिडेमिक और एंटीथेरोजेनिक गुण हैं, जो हार्ट संबंधी परेशानियों को ट्रीट करने में मदद करते हैं।
कुछ साल पहले यूएस के नैशनल सैंटर फॉर बायोटैक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (एनसीबीआई) में एक रिपोर्ट छपी। बताया गया कि अजरुन के जलीय अर्क ने मेंढक के हृदय की मांसपेशियों के संकुचन के बल को बढ़ा दिया। वहीं खरगोश के दिल में भी गजब का काम किया। अजरुन के पेड़ को वैज्ञानिक भाषा में टर्मिनलिया अजरुन कहा जाता है। आमतौर पर इसे अजरुन के नाम से जाना जाता है।
एनसीबीआई के मुताबिक, इस पेड़ की छाल के काढ़े का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में सदियों से सीने में दर्द, हाई ब्लड प्रैशर, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और डिस्लिपिडेमिया के लिए किया जाता है। कई मॉडर्न रिसर्च में यह पता चला है कि अजरुन की छाल में एंटी-इस्केमिक, एंटीऑक्सिडैंट, हाइपोलिपिडेमिक और एंटीथेरोजेनिक गुण पाए जाते हैं। दिल ही नहीं, पेट के लिए भी अजरुन छाल बेहतरीन रिजल्ट लेकर आता है।