सवाधानः पिछले 1 महीने में बढ़ी सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों की गिनती, ज्यादातर ICU में भर्ती

मुंबई : वैश्विक स्तर पर कोरोना के बढ़ते जोखिमों के बीच भारत में नए साल की शुरुआत में ही सांस के रोगियों के मामले 30 फीसदी तक बढ़ने की खबर है। जानकारियों के मुताबिक इस साल के पहले 7 दिनों में ही सांस के रोगियों की संख्या में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि.

मुंबई : वैश्विक स्तर पर कोरोना के बढ़ते जोखिमों के बीच भारत में नए साल की शुरुआत में ही सांस के रोगियों के मामले 30 फीसदी तक बढ़ने की खबर है। जानकारियों के मुताबिक इस साल के पहले 7 दिनों में ही सांस के रोगियों की संख्या में कम से कम 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें से कुछ को ब्लड ऑक्सीजन लेवल की कमी और सांस लेने में तकलीफ के कारण आईसीयू में भी भर्ती कराया गया है। हालांकि यह कोविड के कारण नहीं, बल्कि इसके लिए बढ़े हुए प्रदूषण को प्रमुख वजह बताया गया है।

फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टीच्यूट के विशेषज्ञों ने हालिया रिपोर्ट में बताया कि ठंड के मौसम और प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पतालों में सांस के रोगियों की संख्या भी बढ़ती हुई देखी जा रही है। इसमें से कई रोगियों की स्थिति काफी गंभीर भी है, जिसमें उन्हें तत्काल चिकित्सा या आईसीयू की जरूरत हो रही है। डाक्टर्स की कहना है कि पहले से ही बढ़े प्रदूषण के बीच ठंड का यह मौसम सांस के रोगियों के लिए काफी जटिलताओं वाला साबित हो रहा है, जिसके कारण खतरा बढ़ गया है। जिन लोगों का सांस की समस्या है, उन्हें इन दिनों विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

आईसीयू में बढ़े सांस के मरीज

फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टीच्यूट में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डा. मनोज गोयल एक मीडिया रिपोर्ट में बताया है कि पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों में सांस की क्रोनिक बीमारी से पीड़ित लोगों में गंभीर जटिलताओं के मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं। ब्रोंकाइटिस, छाती में संक्रमण, निमोनिया, अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी रिपोर्ट की जा रही है। दिवाली के बाद से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में जारी समस्या और अब ठंड के इस मौसम के कारण सांस की इन समस्याओं का जोखिम पहले की तुलना में बढ़ गया है।

ठंड का मौसम बढ़ा देता है जोखिम

डा. जीशान कहते हैं प्रदूषण तो लंबे समय से कई महानगरों के लिए चुनौतीकारक रहा ही है, साथ ही ठंड का मौसम सांस की समस्या से परेशान लोगों के लिए और भी दिक्कतें बढ़ाने वाला माना जाता है। ठंड के मौसम में हवा स्वाभाविक तौर पर शुष्क हो जाती है, यह वायुमार्ग को संकीर्ण करने के साथ, सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों में जलन पैदा कर सकती है। ठंडी हवा हमारे निचले वायुमार्गो में नमी की परत को भी बाधित कर सकती है। ये कुछ ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियां है जिसके कारण सांस के मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

प्रदूषण से बढ़ जाती हैं दिक्कतें

वायु प्रदूषण को सांस की समस्याओं के प्रमुख जोखिम कारक के तौर पर जाना जाता है, यह जटिलताओं को बढ़ाने वाली स्थिति भी है। शोध बताते हैं कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से वायुमार्ग और फेफड़ों से संबंधित समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा प्रदूषित हवा में मौजूद हानिकारक रसायनों के कारण पहले से ही रही सांस की समस्याएं ट्रिगर हो सकती है। जैसे प्रदूषण के संपर्क के कारण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के लक्षण बिगड़ने का जोखिम रहता है।

बचाव के उपाय करते रहना बहुत जरूरी

डा. जीशान कहते हैं चूंकि इन दिनों ठंड और प्रदूषण दोनों अधिक देखा जा रहा है, यह परिस्थितियां निश्चित ही सांस के मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हैं। आश्चर्यजनक रूप से पिछले कुछ महीनों में हमने सांस के नए मरीजों के आंकड़े भी बढ़े हुए देखे हैं। सांस की परेशानी, आपातकालीन स्थिति वाली मानी जाती है, इसलिए सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। जिन लोगों को पहले से ही सांस की दिक्कत है, वह डाक्टर द्वारा सुझाई दवाइयां समय पर लेते रहें। इसके अलावा इनडोर प्रदूषण को कम करने के लिए कमरे में वैंटीलेशन का ध्यान रखें।

 

 

 

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