Covid -19 का हल्का संक्रमण भी दिल की सेहत को नुक्सान पहुंचा सकता है

नई दिल्ली: कोविड19 के हल्के संक्रमण से भी दिल की सेहत को दीर्घकालिक नुक्सान पहुंच सकता है। ‘जर्नल ऑफ क्लीनिकल मैडिसिन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। यह पहला अध्ययन है जिसमें कोविड-19 संक्रमण से पहले और बाद में व्यक्ति की हृदय की धमनियों के सख्त होने के स्तर की.

नई दिल्ली: कोविड19 के हल्के संक्रमण से भी दिल की सेहत को दीर्घकालिक नुक्सान पहुंच सकता है। ‘जर्नल ऑफ क्लीनिकल मैडिसिन’ में प्रकाशित एक नए अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। यह पहला अध्ययन है जिसमें कोविड-19 संक्रमण से पहले और बाद में व्यक्ति की हृदय की धमनियों के सख्त होने के स्तर की तुलना की गई है। धमनियों के सख्त होने को उनके कमजोर होने का संकेत माना जाता है, जिससे व्यक्ति के हृदय रोगों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के हल्के संक्रमण की चपेट में आने के दो से तीन महीने बाद व्यक्ति की धमनियों की क्रिया और रक्त संचार प्रणाली प्रभावित होने लगती है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के हल्के संक्रमण से धमनियां सख्त होने लगती हैं और उनमें खून का प्रभाव भी सुचारु रूप से नहीं हो पाता है, जो आगे चलकर हृदयरोग उभरने का कारण बन सकता है। इस अध्ययन को ब्रिटेन स्थित पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्ताओं ने अंजाम दिया। अध्ययन दल में शामिल मारिया पेरिसिओउ ने कहा कि हम हृदय की सेहत में आई गिरावट को देखकर हैरान थे, जिसकी गति संक्रमित होने के बाद की अवधि में बढ़ती जाती है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर हम मानते हैं कि संक्रमण से उबरने में लंबा वक्त गुजरने के बाद प्रतिरोधक क्रिया धीमी पड़ने लगती है और सभी शारीरिक क्रियाएं सामान्य या स्वस्थ स्तर पर पहुंच जाती हैं। पेरिसिओउ के मुताबिक हालांकि इस अध्ययन से पता चलता है कि कोविड19 ‘ऑटो इम्यून क्रिया’ को गति देता है, जिससे प्रतिरोधक तंत्र शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला करने लगता है और धमनियों व हृदय की सेहत में गिरावट आने लगती है।

कोई भी प्रतिभागी उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से नहीं जूझ रहा था
अध्ययन के दौरान क्रोएशिया स्थित यूनिर्विसटी ऑफ स्प्लिट स्कूल ऑफ मैडिसिन में अक्तूबर 2019 से अप्रैल 2022 तक कोविड19 के हल्के संक्रमण के शिकार हुए 32 मरीजों के दिल की सेहत पर नजर रखी गई। इनमें से ज्यादातर प्रतिभागियों की उम्र 40 साल से कम थी और संक्रमण से पहले उन्हें कोई भी गंभीर बीमारी नहीं थी। सिर्फ 9 फीसदी को उच्च रक्तचाप की शिकायत थी, जबकि दो प्रतिभागी मधुमेह से पीड़ित थे। कोई भी प्रतिभागी उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से नहीं जूझ रहा था। 78 फीसदी प्रतिभागी धूम्रपान नहीं करते थे।

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