‘ग्लोबल साउथ’ के लिए आर्द्रता गर्मी के प्रभाव को और जटिल बना सकती है

नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने पाया है कि बढ़़ते तापमान के साथ झुलसाने वाली गर्मी न केवल स्थानीय जलवायु पर निर्भर करती है, बल्कि आर्द्रता पर भी निर्भर करती है, जो पेड़ों और वनस्पतियों से मिलने वाली ठंडक के फायदों को खत्म कर सकती है। येल स्कूल ऑफ द एनवायरनमैंट (वाईएसई), अमरीका के शोधकर्ताओं ने अवलोकन.

नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने पाया है कि बढ़़ते तापमान के साथ झुलसाने वाली गर्मी न केवल स्थानीय जलवायु पर निर्भर करती है, बल्कि आर्द्रता पर भी निर्भर करती है, जो पेड़ों और वनस्पतियों से मिलने वाली ठंडक के फायदों को खत्म कर सकती है। येल स्कूल ऑफ द एनवायरनमैंट (वाईएसई), अमरीका के शोधकर्ताओं ने अवलोकन डाटा और शहरी जलवायु मॉडल गणना का इस्तेमाल करके शहर में गर्मी के संबंध में तापमान और आर्द्रता के संयुक्त प्रभाव की जांच की।

यह अध्ययन ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ। जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है और शहरी क्षेत्रों में गर्मी में वृद्धि हो रही है, ‘ग्लोबल साउथ’ (विकासशील या गरीब देश) एक अतिरिक्त जटिल कारक उमस भरी गर्मी से जूझ रहा है। अध्ययन में शामिल रहे येल में मौसम विज्ञान के प्रोफैसर जुहुई ली ने कहा कि माना जाता है कि सामान्य आबादी की तुलना में शहर के निवासियों को अधिक गर्मी झेलनी पड़ती है।

हालांकि उन्होंने कहा कि इस धारणा से हालात को लेकर तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं होती। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इस धारणा में माइक्रॉक्लाइमेट यानि शहरी क्षेत्र में शुष्क स्थिति पर विचार नहीं किया जाता है कि शहरी भूमि आसपास की ग्रामीण भूमि की तुलना में कम नम होती है।

ली ने कहा कि शुष्क, समशीतोष्ण जलवायु में, शहरी निवासी वास्तव में ग्रामीण निवासियों की तुलना में कम गर्मी का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि ‘ग्लोबल साउथ’ में, शहरी क्षेत्र काफी गर्मी का सामना करते हैं जिसके परिणामस्वरूप गर्मी के प्रत्येक मौसम में 2 से 6 दिन प्रचंड गर्मी के रहते हैं।

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